रुद्रप्रयाग : यात्रा के दौरान देवदूत से लेकर हमदर्द की भूमिका में रहा स्वास्थ विभाग
- सैकड़ों लोगों को समय पर ईलाज देकर दिया जीवन दान, यात्रा के दौरान मृत लोगों के शव रिकॉर्ड छह घंटों में किए परिवार के सुपुर्द
- जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने विशेष कार्य योजना तैयार कर ग्रीन कॉरिडोर बनवाकर अविलंब करवाया एम्बुलेंस का संचालन
- हेली सेवा, आपदा प्रबंधन एवं पुलिस प्रशासन के चुस्त एक्शन से सफल हुई कार्य योजना
- 01 एडवांस लाइफ सपोर्ट सहित 10 एम्बुलेंस, 04 शव वाहन एवं प्रतिदिन करीब 150 कर्मचारियों ने यात्रियों को जीवनदान देने से लेकर शव समय पर परिवार को सुपुर्द करने में निभाई महत्वपूर्ण भूमिका
रुद्रप्रयाग/लोक संस्कृति
श्री केदारनाथ धाम यात्रा के सफल एवं सुव्यवस्थित संचालन में हर विभाग महत्वपूर्ण भूमिका में रहता है। लेकिन श्रद्धालुओं की यात्रा के दौरान स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी हमदर्द और देवदूत दोनों की भूमिका में नजर आते हैं। वर्ष 2024 की यात्रा के दौरान जिलाधिकारी सौरभ गहरवार के निर्देशन में रैपिड रिस्पॉन्स के लिए विशेष कार्य योजना बनाने से एक ओर जहां न्यूनतम समय में मरीजों को उचित ईलाज मिल सका दूसरी ओर यात्री की मृत्यु होने पर रिकॉर्ड छह घंटों से कम समय में शव परिजनों को सौंपा गया।
वर्ष 2024 की श्री केदारनाथ धाम यात्रा प्रबंधन को मजबूत करने को जिलाधिकारी सौरभ गहरवार ने कई प्रयास किए। जिसमें स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त एवं सुगम बनाने के लिए किए गए प्रयास बड़ा प्रभाव लेकर आए। जिलाधिकारी द्वारा बाबा केदारनाथ यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाने एवं यात्रा के दौरान मृत्यु की स्थिति पर शव को परिजनों के सुपुर्द करने के लिए रैपीड रिस्पॉन्स सिस्टम तैयार किया गया। जिसमें स्वास्थ्य के अलावा नोडल हेली, आपदा प्रबंधन अधिकारी , पुलिस एवं सेक्टर अधिकारियों सहित जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों की जिम्मेदारी तय कर न्यूनतम समय में ईलाज एवं शव पोस्ट मार्टम के बाद परिजनों को सौंपने की व्यवस्था बनाई गई। इसके लिए एक समर्पित (डेडीकेटेड) व्हाट्सएप ग्रुप भी तैयार किया गया वहीं संबधित विभागों के अधिकारियों के फोन का जवाब तुरंत देने का प्रोटोकॉल भी तय हुआ। रैपिड रिस्पॉन्स के चलते जहां न्यूनतम तीन घंटे जबकि औसत आठ घंटों में शव परिजनों को सौंपा गया है। जबकि पिछले वर्षों तक कई बार शव परिजनों को सुपुर्द करने में 24 घंटे से भी अधिक समय लग जाता था।
एम्बुलेंस के लिए ग्रीन कॉरिडोर अनिवार्य किया
प्रभारी मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ विमल गुसाईं ने बताया कि प्रशासन द्वारा रैपीड रिस्पॉन्स सिस्टम के अंतर्गत एम्बुलेंस के यातायात के लिए ग्रीन कॉरिडोर अनिवार्य किया गया। एम्बुलेंस के संचालन के समय विभिन्न चेक पोस्टों पर पुलिस को पहले ही सूचना दे दी जाती इससे किसी भी मरीज या शव को आसानी से गंतव्य तक पहुंचा दिया जाता। इस वर्ष कुछ यात्रियों की केदारनाथ में तबियत बिगड़ेंगे या मृत्यु होने पर उन्हें रिकॉर्ड तीन घंटे के अंदर जिला अस्पताल रुद्रप्रयाग पहुंचाया गया। मृत्य की स्थिति में पंचनामा एवं पोस्ट मार्टम का समय जोड़ने के बाद कई शवों को छह घंटे के भीतर उनके परिजनों के सुपुर्द किया गया है। पूरे अभियान में 01 एडवांस लाइफ सपोर्ट सहित 10 एम्बुलेंस, 04 शव वाहन एवं संबधित विभागों के प्रतिदिन करीब 150 कर्मचारियों ने यात्रियों को जीवनदान देने से लेकर शव समय पर परिवार को सुपुर्द करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उधर जिला पर्यटन अधिकारी राहुल चौबे ने रेस्क्यू कार्यों से लेकर मरीज एवं शवों को समय पर केदारनाथ सहित अन्य हेलीपैड से बेस हेलीपैड पर पहुंचाने के लिए धन्यवाद दिया, कहा कि उनके रैपिड रिस्पॉन्स के बिना यह संभव नहीं था।
करीब दो लाख यात्रियों का हुआ ईलाज
डॉ. विमल सिंह गुसांई ने अवगत कराया है कि श्री केदारनाथ धाम की इस वर्ष की यात्रा में 1 लाख, 98 हजार, 952 श्रद्धालुओं का स्वास्थ्य उपचार किया गया है। जिसमें 1 लाख, 57 हजार, 330 पुरुष तथा 41 हजार, 622 महिलाएं शामिल हैं। इसके साथ ही 15 हजार 173 लोगों को ऑक्सीजन की सुविधा उपलब्ध कराई गई तथा 01 लाख, 61 हजार 308 श्रद्धालुओं की स्क्रीनिंग भी की गई। उन्होंने बताया कि यात्रा के दौरान 218 लोगों को एंबुलेंस सेवा से तथा 90 श्रद्धालुओं को हेली सेवा के माध्यम से हायर सेंटर के लिए रेफर किया गया।