देवभूमि में डेमोग्राफी चेंज (Demographic Change) सुरक्षा के लिए खतरा

देवभूमि में डेमोग्राफी चेंज (Demographic Change) सुरक्षा के लिए खतरा

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड में धार्मिक स्थलों के बहाने जमीनों पर कब्जे की खबरें सामने आने के बाद प्रदेश में लैंड जिहाद का मुद्दा तूल पकड़ चुका है। सड़क से लेकर गांवों तक मजार मस्जिद जैसे धार्मिक स्थलों के नाम पर अतिक्रमण इतना बढ़ चुका है कि इससे देवभूमि की डेमोग्राफी को ही खतरे की आशंका जताई जाने लगी है। सड़कों से लगी वन भूमि भी निशाने पर हैं। इनके किनारे बड़े पैमाने पर इस तरह का अतिक्रमण हुआ है। बढ़ते जन दबाव पर सरकार भी अब एक्शन मोड में आ गई है। पिछले दो दिनों में दो बड़े फैसलों को भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है। दरअसल, उत्तराखंड सरकार ने हाईवे और स्टेट हाईवे से 50 और सौ मीटर की हवाई दूरी तक निर्माण के लिए नक्शा अनिवार्य कर दिया है। वहीं, वन भूमि पर धार्मिक स्थलों की आड़ में किए गए अतिक्रमण को हटाने के लिए एक सीनियर आईएफएस की बतौर नोडल अफसर तैनाती कर दी गई है।

मुख्यमंत्री और नोडल अफसर से मिले संकेत बताते हैं कि जल्द ही बड़ा एक्शन होने वाला है। जानकारों का मानना है कि डेमोग्राफिक चेंज के अपने खतरे तो हैं ही माना जा रहा है कि सरकार पर हिंदूवादी संगठनों का भी दबाव है। संगठन के अध्यक्ष का कहनाहै कि ये सरकार का स्वागत योग्य कदम है। हम कई बार शासन-प्रशासन को लिखित रूप से धार्मिक स्थलों के नाम पर बढ़ रही घुसपैठ से अवगत करा चुके हैं। बहरहाल, अब ऐसा माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में पहाड़ से लेकर मैदान तक धामी सरकार का बुलडोजर गरजते हुए नजर आएगा। कहीं कोई अड़चन न आए, इसके लिए फॉरेस्ट एक्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग खंगाली जा रही है। सेटेलाइट इमेजनरी से भी अतिक्रमण चिन्हित किया जा रहा है। राज्य एक अपनी संस्कृति है वो प्रभावित नहीं होनी चाहिए और डेमोग्राफी भी नहीं बदलनी चाहिए। जो जनसंख्या का असंतुलन हो रहा है उसके लिए हमने वेरिफिकेशन ड्राइव भी चलाई है और इस प्रकार के जो मामले आए हैं उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हाल के वर्षों में पर्वतीय राज्य उत्तराखंड में हुए जनसांख्यिकीय बदलाव के बाद यहां के पर्यटन कारोबार में भी समुदाय विशेष की तेजी से घुसपैठ हुई है। इसका असर गढ़वाल के साथ ही कुमाऊं मंडल के नैनीताल, भीमताल, रामनगर, बागेश्वर, जागेश्वर, रानीखेत व कौसानी में भी देखा जा सकता है। इन लोगों ने स्थानीय कारोबारियों से ऊंची कीमत पर होटल व लाज लीज पर लेकर संचालन शुरू कर दिया है। कुछ साल पहले तक स्थानीय लोगों द्वारा संचालित अधिकतर रेस्तरां भी अब इन्हीं के पास हैं। इनके कुछ संचालक तो संदिग्ध भी हैं।

बीते पांच सालों के इंटेलिजेंस इनपुट को देखें तो इनमें कुछ ऐसे भी लोग उभरे हैं जिनकी मजबूत आर्थिक पृष्ठभूमि नहीं रही है। लेकिन, जब बात होटल को लीज पर लेने की आई तो उन्होंने सर्वाधिक बोली लगाई। सुरक्षा एजेंसियां इस बदलाव को सामान्य नहीं मान रहीं। इनमें बड़े पैमाने पर बाहरी फंडिंग की भी बात सामने आ रही है। इसमें उत्तर प्रदेश के, नेपाल से सटे जिले व्यक्ति भी चिह्नित किए गए हैं। पर्यटन कारोबार में समुदाय विशेष के घुसपैठ का असर बड़ा व्यापक है। यहां के होटलों में पहले वेटर, कुक व सफाईकर्मी स्थानीय लोग थे। लेकिन होटल लीज पर लेते ही स्थानीय लोगों को हटाकर ये काम समुदाय विशेष के बाहरी युवाओं को सौंप दिया गया। हालांकि नाम स्थानीय ही रखे हैं, जिससे किसी को शक न हो और कारोबार चलता रहे।टूर एंड ट्रेवल्स के कारोबार में भी इन्होंने बड़ा नेटवर्क तैयार किया। हल्द्वानी से लेकर चीन सीमा से सटे पिथौरागढ़ तक इनके कार्यालय खुले हैं। लग्जरी गाडिय़ों की रेंज भी बेहतर है। इस कारण स्थानीय लोग टूर एंड ट्रेवल्स कारोबार से धीरे-धीरे करीब बाहर होते गए। आज स्थिति ये है कि नैनीताल जिले में अधिकतर टैक्सियां इन्हीं की चल रही हैं। रानीखेत,कौसानी का भी यही हाल है। डीआईजी कुमाऊं ने कहा कि शासन के निर्देश पर पूरे कुमाऊं में सत्यापन शुरू किया गया है। इसमें हम पर्यटन कारोबार के इस बदलाव को भी शामिल करेंगे। रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई भी सुनिश्चित करेंगे।

लव जिहाद सामाजिक ताने-बाने के लिए खतरनाक है। सरकार को ऐसे मामलों पर सख्त कदम उठाने का पूरा अधिकार है। राज्य बनने के बाद देहरादून में बिंदाल और रिस्पना समेत कई नदी-नालों के किनारे हजारों की संख्या में बाहरी लोग बस गए। यही आबादी जनसांख्यिकी बदलाव का कारण भी है। हरिद्वार और ऊधमसिंह नगर में भी तेजी से जनसांख्यिकी बदलाव हुआ है। कुछ दिन पहले हरिद्वार में चार बांग्लादेशी पकड़े गए थे, जिनके पास यहां के आधार कार्ड भी मिले। केवल चारधामों के साथ ही अपनी आध्यात्मिक शांति और सौहार्द के लिए विख्यात हिमालयी राज्य उत्तराखंड धर्मांतरण को लेकर अशांत होता जा रहा है। यद्यपि धर्मांतरण सभी धर्मों में हो रहा है और खासकर धर्मांतरण कराने वालों के निशाने पर राज्य की सभी 5 जनजातियां हैं लेकिन चर्चा और प्रतिरोध केवल लव जिहादऔर च्लैंड जिहादज् को लेकर है. जबकि पिछली जनगणना रिपोर्ट सभी धर्मों में मतांतरण की पुष्टि करती है लव जिहाद, लैंड जिहाद, अवैध धर्मांतरण समेत डेमोग्राफी और पहचान बदलने की साजिश आदि मुद्दों पर अपना मत स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन विषयों पर उन्हें गोलमोल जवाब देने के बजाय स्पष्ट जवाब देना चाहिए. उत्तराखंड में डेमोग्राफी चेंज को लेकरचर्चा शुरू हो चुकी है।

(लेखक दून विश्वविद्यालय कार्यरत हैं)