ओम पर्वत के दर्शन के साथ ही यहां खूबसूरत नजारों के होते हैं दीदार
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार का प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए हेलिकॉप्टर सेवा शुरू करने पर फोकस है। आदि कैलाश समुद्रतल से 5945 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति है। वेद पुराणों में आदि कैलाश भगवान शिव का सबसे प्राचीन निवास स्थल के रूप में प्रचलित है। पिथौरागढ़ जिले के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल आदि कैलाश की यात्रा के लिए हेली सेवा की कवायद शुरू हो गई है। इसके लिए पर्यटन विभाग प्रस्ताव तैयार कर रहा है।नागरिक उड्डयन महानिदेशालय की अनुमति मिलने के बाद आदि कैलाश की यात्रा आसान होगी। अभी तक आदि कैलाश की पैदल यात्रा में कई दिनों का समय लगता है। साथ ही यात्रा काफी कठिन होती है। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश सरकार का प्रसिद्ध धार्मिक स्थलों की यात्रा को सुगम बनाने के लिए हेलिकॉप्टर सेवा शुरू करने पर फोकस है।
आदि कैलाश समुद्रतल से 5945 मीटर की ऊंचाई पर स्थिति है। वेद पुराणों में आदि कैलाश भगवान शिव का सबसे प्राचीन निवास स्थल के रूप में प्रचलित है। इसे कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति माना जाता है। पिथौरागढ़ जिले के धारचूला से आदि कैलाश की यात्रा शुरू होती है। धारचूला से तवाघाट, पांगू, नारायण आश्रम, गाला, बूंदी, गर्ब्यांग, गुंजी, कुटी गांव होते हुए अंतिम पड़ाव ज्योलिकांग है। नाभीढांग से ओम पर्वत के दर्शन हो हैं। हिन्दू धर्म ग्रंथों के अनुसार ब्रह्मांड का सृजन और उसके विनाश का जिम्मा संभालने वाले भगवान शिव कैलाश पर्वत पर अपने परिवार के साथ निवास करते हैं।भगवान शिव को सबसे बड़ा तपस्वी और भोला माना जाता है। उनके भक्तों की गिनती भी नहीं की जा सकती।
हिंदू मान्यताओं और पुराणों के अनुसार भगवान शिव हिमालय के कैलाश मानसरोवर पर वास करते हैं। माना जाता है कि विश्व में तीन कैलाश पर्वत हैं, पहला कैलाश मानसरोवर जोकि तिब्बत में है, दूसरा आदि कैलाश जो उत्तराखंड में है और तीसरा है किन्नौर कैलाश जो हिमाचल प्रदेश में है। जहां तिब्बत, नेपाल और भारत की सीमाएं मिलती हैं, वहीं ओम पर्वत स्थापित है। वेदों में उल्लेख है कि कैलाश पर्वत पृथ्वी और स्वर्ग के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है। इस पर्वत श्रृंखला के चार मुख कम्पास की चार दिशाओं की ओर मुख किए हुए हैं। जैसा कि हिंदू, जैन और बौद्ध मानते हैं, कैलाश पर्वत स्वर्ग का अंतिम प्रवेश द्वार है। इसके अलावा, इसे पांडवों द्वारा मोक्ष की प्राप्ति का स्थान भी माना जाता है, जो द्रौपदी के साथ इस चोटी पर ट्रैकिंग कर रहे थे।
इस प्रकार, जैसा कि ऊपर कहा गया है, यह आसानी से पुष्टि की जा सकती है कि निस्संदेह, कैलाश पर्वत रहस्यों का केंद्र है जो अब तक अनसुलझे हैं प्राचीन भारतीय ग्रंथो एवं पौराणिक कथाओं में आदि कैलाश को कैलाश मानसरोवर की प्रतिकृति के रूप में वर्णित किया गया है। धार्मिक मान्यताओं में इस स्थान की यात्रा का फल कैलाश मानसरोवर के तुल्य माना जाता है। आदि कैलाश या छोटा कैलाश भारत के उत्तरी भाग में स्थित उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित है।
समुद्रतल से 5,945 मीटर की ऊँचाई पर स्थित आदि कैलाश दारमा, व्यास एवं चौदास घाटियों के मध्य स्थित है जहाँ आपको साक्षात् भगवान भोलेनाथ की अनुभूति होती है। यह स्थान भारत- तिब्बत बॉर्डर में भारतीय सीमा के अंतर्गत आता है ऐसे में यहाँ जाने के लिए आपको ना तो किसी पासपोर्ट की आवश्यकता होती है एवं ना ही वीजा की। आर्थिक दृष्टि से भी देखा जाए तो आदि कैलाश यात्रा काफी किफायती है एवं यहाँ जाने के लिए आपको अधिक कागजी झंझट करने की भी आवश्यकता नहीं है। पूर्ण रूप से भारतीय सीमा में पड़ने वाला यह पवित्र तीर्थ स्थल यात्रियों को कम व्यय में ही अधिक से अधिक सुविधा प्रदान करता है जहाँ आप अपनी आध्यात्मिक क्षुधा को शाँत कर सकते है।
( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )