वोटर कार्ड भी आधार से लिंक होगा, मतदाता पहचान पत्र पर केंद्र सरकार रखेगी नजर, गड़बड़ियां भी खत्म होंगी

वोटर कार्ड भी आधार से लिंक होगा, मतदाता पहचान पत्र पर केंद्र सरकार रखेगी नजर, गड़बड़ियां भी खत्म होंगी

लोक संस्कृति

बैंक खाता आधार कार्ड से लिंक। राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, पैन कार्ड समेत शायद ही कोई ऐसा महत्वपूर्ण डॉक्यूमेंट होगा जो आधार से लिंक न हो। केवल वोटर आईडी कार्ड ही अभी तक ऐसा था जो आधार से जुड़ा नहीं था। अब जल्द केंद्र सरकार वोटर आईडी कार्ड को आधार से लिंक करने जा रही है। केंद्र सरकार और चुनाव आयोग मतदाता पहचान पत्र पर भी नजर रखेंगे।

मंगलवार को चुनाव आयोग और यूनीक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया (यूआईडीएआई) के अफसरों की बैठक हुई। अब जल्द ही इस पर एक्सपर्ट की राय ली जाएगी। देश के सभी राजनीतिक दलों से भी 30 अप्रैल 2025 तक सुझाव मांगे गए हैं।

वर्तमान में, आयोग ने 2023 तक 66 करोड़ से अधिक मतदाताओं के आधार विवरण एकत्र किए हैं, जिन्होंने स्वेच्छा से यह जानकारी दी थी। इन 66 करोड़ मतदाताओं के दो डेटाबेस को लिंक नहीं किया गया है। हालांकि, आगे चलकर निर्वाचन आयोग यूआईडीएआई के साथ मिलकर यह पता लगाएगा कि दोनों डाटाबेस को कैसे जोड़ा जाए, कम से कम उन मतदाताओं के लिए जिन्होंने स्वेच्छा से निर्वाचन आयोग को जानकारी दी है।

इसके अलावा, मीटिंग में यह भी फैसला लिया गया कि फॉर्म 6बी (जिसे मतदाताओं की आधार संख्या एकत्र करने के लिए पेश किया गया था) को केंद्रीय कानून मंत्रालय द्वारा राजपत्र अधिसूचना के माध्यम से संशोधित किया जाएगा, ताकि इस बात पर अस्पष्टता दूर हो सके कि क्या यह जानकारी साझा करना स्वैच्छिक है। वर्तमान में फॉर्म 6बी में मतदाताओं के लिए आधार न देने के विकल्प नहीं हैं, केवल दो विकल्प दिए गए हैं, या तो आधार नंबर दें या घोषित करें कि मैं अपना आधार प्रस्तुत करने में सक्षम नहीं हूं क्योंकि मेरे पास आधार संख्या नहीं है। मतदाता पहचान के आधार से जुड़ने पर ये मिलेगा फायदा। मतदाता सूची से जुड़ी गड़बड़ियां खत्म होगी।

मतदाताओं की एक प्रमाणित सूची देश के सामने आएगी। मतदाता सूची में फर्जी नामों से कोई नहीं जुड़ सकेंगे। राजनीतिक दलों की शिकायतें खत्म हो जाएगी। मतदाता सूची में अलग-अलग जगहों से कोई जुड़ नहीं सकेगा। यानी दो जगहों से नहीं जुड़े पाएंगे।

विपक्षी पार्टियों ने वोटर लिस्ट में हेराफेरी करने के लगाए थे आरोप

बता दें कि हाल ही में डुप्लीकेट वोटर कार्ड को लेकर उठे विवाद की पृष्ठभूमि में ये फैसले लिए गए हैं।

विपक्षी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने अलग-अलग राज्यों में नागरिकों को दिए गए एक जैसे वोटर कार्ड नंबर पर चिंता जताई है और चुनाव आयोग पर बीजेपी को फायदा पहुंचाने के लिए वोटर लिस्ट में हेराफेरी करने का आरोप लगाया है। हाल ही में लोकसभा सत्र के दौरान राहुल गांधी ने भी इस बात पर जोर दिया।

इस विवाद ने तब तूल पकड़ा जब टीएमसी प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में अपनी पार्टी की एक सभा में डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबरों के मुद्दे को उठाया। बनर्जी ने आरोप लगाया कि भाजपा मतदाता सूचियों से छेड़छाड़ करने के लिए चुनाव आयोग के साथ मिलकर काम कर रही है।

वहीं कानून मतदाता सूचियों को आधार डेटाबेस के साथ स्वैच्छिक रूप से जोड़ने की अनुमति देता है।

आधार-वोटर कार्ड लिंक करने की प्रक्रिया पहले से चल रही है। चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर कार्ड को आधार से जोड़ने का काम मौजूदा कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार किया जाएगा। इससे पहले 2015 में भी ऐसी ही कोशिश हुई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी।