Women’s Day : इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय महिला आयोग विवाह पूर्व परामर्श केंद्रों की करेगा शुरुआत

Women’s Day : इस बार अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रीय महिला आयोग विवाह पूर्व परामर्श केंद्रों की करेगा शुरुआत

लोक संस्कृति

कल 8 मार्च को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस देश भर में मनाया जाएगा। ये दिन महिलाओं के सम्मान में समर्पित है। महिलाओं को सम्मान देने और समाज में उनके प्रति बुरे रवैये के बदलाव के उद्देश्य से हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। महिलाएं समाज का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। यह दिन समाज में उनकी भूमिका और महत्व को उजागर करने का दिन है।

आज के समय में महिलाएं पुरुषों के कंधे से कंधा मिला कर चल रही हैं और विश्व निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। यह दिन हमें याद दिलाता है कि महिलाओं को समान अवसर मिलना चाहिए। हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस एक खास थीम के साथ मनाया जाता है।

साल 2025 की थीम ‘एक्सीलरेट एक्शन’ रखी गई है, जिसका अर्थ है तेजी से कार्य करना। विवाह से पूर्व परामर्श के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग एक अनूठी पहल करने जा रहा है।

आयोग आठ मार्च यानि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर शनिवार को देश के नौ राज्यों में विवाह पूर्व परामर्श के लिए “तेरे मेरे सपने” नाम से सेंटर की शुरुआत कर रहा है।

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने बताया कि इस नई पहल की शुरुआत 9 राज्यों में 21 सेंटर के साथ हो रही है। सफल विवाह के लिए दो जोड़ों को इस रिश्ते के तमाम पहलुओं को जानना आवश्यक होता है। विवाह सिर्फ दो लोगों तक ही सीमित नहीं होता बल्कि उसमें दो परिवार शामिल होते हैं। कई सामाजिक पहलू होते हैं, जिसे समझा जाना चाहिए।

खुशहाल वैवाहिक जीवन हो, इसके लिए अगर शादी से पहले ही दोनों लोगों को परामर्श दिया जाए तो इसे एक सफल योजना कहा जा सकता है। इसी सोच के साथ आयोग परामर्श केन्द्र खोलने जा रहा है। इसके लिए दिल्ली में परामर्शकर्ताओं को ट्रेनिंग दी जा चुकी है। तेरे मेरे सपने केंद्र को स्थापित करने से पहले पिछले महीने पुणे में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देशभर से विभिन्न विषयों के परामर्शदाताओं ने भाग लिया था। इन केंद्रों में क्या क्या विषय लिये जा सकते हैं और परामर्शदाताओं के लिए क्या क्या विषय हो सकते हैं उस पर बारीकी से विचार किया गया। एक सिलेबस तैयार किया गया है, जिसे महिला दिवस पर केन्द्रों में जारी किया जाएगा। इन केंद्रों पर सलाह प्रदान करने वालों को नई दिल्ली में दो दिवसीय सम्मेलन में सिलेबस के साथ ट्रेनिंग दी जा चुकी है।

यह सरकार की सहायता से संचालित किया जाएगा। यह केंद्र 9 राज्यों में खोले जाएंगे। इसमें राजस्थान( बीकानेर, उदयपुर), मध्य प्रदेश(भोपाल), महाराष्ट्र (नासिक, जालना, लातूर, गोरेगांव) हरियाणा (गुरुग्राम), ओडिशा, नई दिल्ली, तिरुवंतपुरम शामिल हैं। इसके साथ आवश्यकता के अनुसार इसे विस्तारित किया जाएगा।

इन केंद्रों के प्रचार प्रसार के लिए होर्डिंग और पैम्पलेट वितरित किए जाएंगे। यह सेंटर जिला कलेक्टर के माध्यम से खोले जाएंगे। आने वाले दिनों में इसके बारे में कॉलेज में भी सेमिनार किए जाएंगे।

साल 1908 में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने की हुई थी शुरुआत

बता दें कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत साल 1908 में हुई थी। सदी की शुरुआत में महिलाओं के अधिकारों की वकालत करने के लिए हुई थी। पहली बार अमेरिका के न्यूयॉर्क शहर में महिलाओं ने अपने लिए वोट देने का अधिकार एवं उचित वेतन के लिए मार्च निकाला था। इस मार्च के कुछ साल बाद पहले बार 19 मार्च 1911 में स्विट्जरलैंड, जर्मनी, ऑस्ट्रिया, डेनमार्क जैसे देशों में पहली बार इस दिन को मनाया गया। रूस में 8 मार्च 1917 को महिलाओं में अपने हक के लिए हड़ताल की।

इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने इसी दिन को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1975 में आधिकारिक तौर पर इसे 8 मार्च को मनाये जाने की मान्यता दी। इसके बाद से प्रतिवर्ष इसे 8 मार्च को ही सेलिब्रेट किया जाता है। इस दिन को मनाये जाने का मुख्य उद्देश्य महिलाओं की उपलब्धियों और योगदान को याद कर लोगों तक पहुंचाना तथा लैंगिक समानता और महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में समाज के बीच जागरूकता बढ़ाना है।

दुनियाभर में महिलाओं के खिलाफ हिंसा होना एक बहुत बड़ी गंभीर समस्या बनी हुई है। 2025 में, इसे रोकने के लिए सख्त कानून और मजबूत नीतियों बनाई जाएंगी। घरेलू हिंसा, कार्यस्थल पर शोषण और बाल विवाह जैसी बुरी रीति को खत्म करने के लिए बड़े अभियान चलाए जाएंगे।