उपराष्ट्रपति का इस्तीफा: जगदीप धनखड़ के उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने के बाद विपक्ष ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब
लोक संस्कृति
भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा देकर सभी को चौंका दिया है।
उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला जरूर दिया है, लेकिन इस्तीफे का यह कारण विपक्ष के गले नहीं उतर रहा है। कांग्रेस ने इस मामले पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ बहुत बड़ी घटना घटी है। इस्तीफे की वजह कुछ और दिख रही है।
अब चौंकाने वाला कदम उठाते हुए जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, जिसे मानवीय दृष्टि से सम्मानपूर्वक स्वीकार किया जाना चाहिए, लेकिन यह भी उतना ही सच है कि उनके इस्तीफे के पीछे कहीं गहरे और गंभीर कारण छिपे हैं।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे से देश की राजनीति में हलचल है। कांग्रेस सांसद नीरज डांगी ने इसे सरकार के दबाव में लिया गया फैसला बताया है। धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है लेकिन विपक्षी नेता इसकी टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष खड़गे ने कहा यह सिर्फ इस्तीफा नहीं है, यह किसी बड़े दबाव या असहमति का संकेत है।
प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि आखिर हुआ क्या है?” पश्चिम बंगाल की मुखमंत्री ममता बनर्जी ने कहा अगर उपराष्ट्रपति खुद को असहज महसूस करते हैं तो यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है। यह बेहद चिंताजनक है। आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल क्या अब संवैधानिक पद भी सुरक्षित नहीं हैं? यह इस्तीफा अपने आप में एक राजनीतिक संदेश है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि संवैधानिक मर्यादाएं खतरे में हैं। अगर उपराष्ट्रपति जैसे पद से व्यक्ति इस्तीफा देता है, तो यह सामान्य घटना नहीं मानी जा सकती। कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा धनखड़ का इस्तीफा यह सोचने पर मजबूर करता है कि क्या वर्तमान शासन में स्वतंत्र संस्थाएं बची हैं?
एनसीपी नेता ने शरद पवार ने कहा कि संवैधानिक पदों की गरिमा बनाए रखना सरकार की जिम्मेदारी है। यह इस्तीफा दर्शाता है कि भीतर ही भीतर बहुत कुछ गलत हो रहा है। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा देश के लोकतंत्र की रीढ़ हिल रही है। अब जनता को सच्चाई से रूबरू कराया जाना चाहिए।
सीपीआई नेता डी राजा ने भी बयान जारी कर कहा कि यह इस्तीफा दिखाता है कि संवैधानिक पदधारी भी अब स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर पा रहे हैं। राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने धनखड़ को देशभक्त बताया। उन्होंने कहा- धनखड़ ने इस्तीफे के पीछे स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, इसलिए इसे स्वीकार किया जाना चाहिए और आगे बढ़ना चाहिए। इस पर आगे कोई चर्चा नहीं होनी चाहिए।
सिब्बल ने कहा- मैं व्यक्तिगत रूप से उनके इस्तीफे से खुश नहीं हूं, क्योंकि मैं अब जब संसद जाऊंगा तो उनसे नहीं मिलूंगा। निजीतौर पर मुझे अच्छा नहीं लगा। देश में 72 साल के संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में धनखड़ पहले ऐसे राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति रहे, जिनके खिलाफ दिसंबर 2024 महाभियोग प्रस्ताव लाया था। जो बाद में तकनीकी कारणों से खारिज हो गया था।
विपक्ष धनखड़ पर पक्षपात का आरोप लगाता रहा था। विपक्ष का दावा था कि वह सिर्फ विपक्ष की आवाज व उनके सांसदों द्वारा उठाए गए सवालों को दबाते हैं।