राष्ट्र जागरण का महामंत्र है ‘वन्दे मातरम’: डॉ. धन सिंह रावत
- कोलकाता में आयोजित विशेष कार्यक्रम में बोले शिक्षा मंत्री
- राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय को किया नमन
देहरादून/लोक संस्कृति
राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम्’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक अवसर सूबे के विद्यालयी शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजमुदार के साथ कोलकाता के सल्ट लेक स्थित पीएम-श्री केन्द्रीय विद्यालय में आयोजित स्मरणोत्सव कार्यक्रम में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वन्दे मातरम् कोई सामान्य गीत नहीं है बल्कि यह राष्ट्र जागरण का महामंत्र है।
डॉ. रावत ने कहा कि जिस पवित्र धरती पर इस अमर गीत की रचना हुई, आज मुझे यहां आने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने राष्ट्रगीत के रचयिता बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय को नमन करते हुए कहा कि ‘वन्दे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने का यह अवसर भारतीय संस्कृति, अस्मिता और राष्ट्रीय एकता के प्रति समर्पण की प्रेरणा देता रहेगा। उन्होंने कहा कि ‘वन्दे मातरम्’ केवल एक गीत नहीं, बल्कि भारत की आत्मा और एकता का प्रतीक है। डॉ. रावत ने कहा कि वंदे मारतम् की रचना अपने में एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनर्जागरण था। बंकिम चन्द्र चट्टोपाध्याय द्वारा रचित कालजयी उपन्यास आनंद मठ में लिखा यह गीत सर्वप्रथम ‘संयासी विद्रोह’ की प्रेरणा बना। इसी गीत ने भारतीय स्वाधीनता यज्ञ में भारतीयों को आहुति बन जाने की प्रेरणा दी, जिसकी लौ से देश ने स्वाधीनता का सवेरा देखा।
कार्यक्रम के दौरान ‘वन्दे मातरम’ के 150 वर्ष पूर्ण होने के ऐतिहासिक अवसर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा देशवासियों के नाम जारी संदेश का लाइव प्रसारण देखा गया। इसके उपरांत डॉ. रावत ने केन्द्रीय शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. सुकांत मजमुदार के साथ विद्यालय में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं और शिक्षकों से संवाद किया। उन्होंने शिक्षा व्यवस्था की जानकारी प्राप्त की साथ ही विद्यार्थियोंसे उनके अध्ययन, भविष्य की आकांक्षाओं तथा विद्यालय में उपलब्ध शैक्षणिक सुविधाओं के संबंध में भी जानकारी ली। डॉ. रावत ने बच्चों को सदैव ‘वन्दे मातरम्’ की भावना से ओतप्रोत रहने की बात भी बच्चों को कही।
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