- शीघ्र तैयार होगी एंटी ड्रग्स एंड रिहेबिलिटेशन पॉलिसीः डॉ0 धन सिंह रावत
- *कहा, सभी शिक्षण संस्थानों में अनिवार्य होगा एंटी ड्रग्स सेल का गठन
*पुलिस, समाज कल्याण, शिक्षा व स्वास्थ्य विभाग के साथ की मैराथन बैठक* - *सभी विभागों से मांगे गये सुझाव, स्वास्थ्य विभाग को बनाया नोडल*
देहरादून, 19 दिसम्बर 2022
उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री स्टेट बनाने के उद्देश्य से प्रदेशभर में शीघ्र ही ‘ड्रग्स फ्री देवभूमि/2025 अभियान’ चलाया जायेगा। इस अभियान के तहत प्रत्येक माह शिक्षण संस्थानों, सार्वजनिक स्थानों, अनाथालयों, जिला कारागारों एवं सरकारी कार्यालयों में जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। सभी शिक्षण संस्थानों मेंएंटी ड्रग्स सेल का गठन अनिवार्य रूप से करना होगा।
राज्य सरकार शीघ्र ही एंटी ड्रग्स एंड रिहेबिलिटेशन पॉलिसी लाने जा रही है। जिसका ड्राफ्ट स्वास्थ्य विभाग द्वारा तैयार किया जा रहा है, इसके लिये सभी संबंधित विभागों से दो सप्ताह के भीतर सुझाव देने को कहा गया है।
चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत की अध्यक्षता में आज सचिवालय स्थित एफआरडीसी सभागार में उत्तराखंड को ड्रग्स फ्री स्टेट बनाने को लेकर मैराथन बैठक हुई। जिसमें डॉ0 रावत ने कहा कि राज्य सरकार ने उत्तराखंड को वर्ष 2025 तक ड्रग्स फ्री स्टेट बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया है।
इसके शीघ्र ही एंटी ड्रग्स एंड रिहेबिलिटेशन पॉलिसी अस्तित्व में आ जायेगी। राज्य में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग को इस अभियान का नोडल बनाया गया है। पुलिस, समाज कल्याण, श्रम, सेवा योजन एवं कौशल विकास, विद्यालयी शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा एवं आयुष शिक्षा आदि विभागों को भी अभियान में शामिल किया गया है।
डॉ0 रावत ने बताया कि अभियान के अंतर्गत प्रत्येक माह राज्य से लेकर ब्लॉक स्तर तक राजकीय एवं निजी विद्यालयों, महाविद्यालयों, निजी उच्च शिक्षण संस्थानों, विश्वविद्यालयों, सार्वजनिक स्थानों, जिला कारागारों, अनाथालयों एवं सरकारी कार्यालयों में ड्रग्स के दुष्प्रभावों को लेकर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किये जायेंगे।
अभियान में ग्राम पंचायतों, क्षेत्र पंचायतों, जिला पंचायतों, नगर निकायों को भी शामिल किया जायेगा। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि अभियान के साथ ही जो युवा ड्रग्स की चपेट में आ चुके हैं उनके पुनर्वास के लिये समुचित व्यवस्था की जायेगी जिसके तहत राज्य सरकार के मानसिक चिकित्सालयों को उच्चीकृत करने के साथ ही काउंसलर एवं मनोचिकित्सक की तैनाती की जायेगी।
इसके साथ ही जो एनजीओ इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं उनके माध्यम से भी पुनर्वास का कार्य कराया जायेगा। साथ ही ऐसे एनजीओ स्टेट मेंटल हेल्थ आथॉरिटी में पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा ताकि समय समय इनके द्वारा किये जा रहे कार्यों का निरीक्षण किया जा सके।
स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि ऐसे युवाओं के पुनर्वास एवं उपचार के निःशुल्क दवा, टेली मनस के माध्यम से काउंसिलिंग की व्यवस्था उपलब्ध है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि प्रत्येक जिले में रिहेबिलिटेशन सेंटर बनाया जाना चाहिये साथ ही जो लोग इस धंधे में लिप्त हैं उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई का प्रावधान भी किया जाना आवश्यक है।
इसके साथ ही जो एनजीओ सरकार के सहयोग से इस क्षेत्र में काम कर रहे हैं उनके लिये भी नियम बनाये जाने जरूरी हैं ताकि सरकारी सहयोग लेने के उपरांत सही ढंग से काम न करने वाले एनजीओ के विरूद्ध भी कार्रवाई की जा सके।
बैठक में सचिव कृषि शिक्षा बी0वी0आर0सी0 पुरूषोत्तम ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में ड्रग्स को रोकने के लिये जो प्रावधान तैयार किये जायेंगे उनको सभी सरकारी शिक्षण संस्थानों के साथ ही निजी शिक्षण संस्थानों में भी लागू किया जाना चाहिये।
स्वास्थ्य सचिव ने बताया कि एंटी ड्रग्स एंड रिहेबिलिटेशन पॉलिसी का प्रारूप लगभग तैयार कर दिया गया है। एक बार संबंधित विभागों को ड्राफ्ट का प्रारूप भेजकर सुझाव आमंत्रित किये जायेंगे, उसके पश्चात ड्राफ्ट को अंतिम रूप देकर स्वीकृति के लिये कैबिनेट में लाया जायेगा।
इस दौरान स्वास्थ्य विभाग की ओर डॉ0 मयंक बडोला ने ड्रग्स एवं उसके दुष्प्रभाव को लेकर एक पावर प्वाइंट के माध्यम से प्रस्तुतिकरण भी दिया।
बैठक में पुलिस महानिदेशक उत्तराखंड अशोक कुमार, सचिव कृषि बी0वी0आर0सी0 पुरूषोत्तम, एडीजी पुलिस बी0 मुरूगेशन, सचिव स्वास्थ्य आर0 राजेश कुमार, अपर सचिव कृषि रणवीर सिंह चौहान, अपर सचिव समाज कल्याण कर्मेन्द्र सिंह, महानिदेशक विद्यालयी शिक्षा बंशीधर तिवारी, अपर सचिव स्वास्थ्य अमनदीप कौर, संयुक्त निदेशक उच्च शिक्षा डॉ0 ए0 एस0 उनियाल, ड्रग कंट्रोलर ताजबर नेगी, नीरज कुमार सहित सहित श्रम एवं कौशल विकास, समाज कल्याण तथा तकनीकी शिक्षा के अधिकारी उपस्थित रहे।