धनतेरस के दिन के बर्तन खरीदने की परंपरा: साइंटिफ रीजन
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
दीपावली भारत का प्रमुख त्यौहार है। यह सम्पूर्ण विश्व में मुख्यतः हिन्दूओं और जैनियों द्वारा मनाया जाता है, इस दिन विभिन्न देशों जैसे तोबागो, सिंगापुर, सुरीनम, नेपाल, मारीशस, गुयाना, त्रिनद और श्रीलंका, म्यांमार, मलेशिया और फिजी में राष्ट्रीय अवकाश होता है। इस त्यौहार में विविध रंगों के प्रयोग से रंगोली सजाई जाती है तथा प्रकाश से सम्पूर्ण घर को सजाया जाता है, तथा हिन्दू मान्यता के अनुसार लक्ष्मी गणेश की पूजा की जाती है धनतेरस या धनत्रियोदशी पांच दिन चलने वाली दीपावली त्यौहार का पहला दिन है। इस दिन हिन्दू लोग धन के देवता कुबेर की पूजा करते हैं। इस महत्वपूर्ण अवसर पर लोग भगवान से प्रार्थना करते हैं कि उनके ऊपर कभी भी धन संपदा की कमी न हो।
हर वर्ष के दौरान इस वर्ष भी धनतेरस का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जायेगा। इस उत्सव को मनाने की तैयारी कई दिन पहले से शुरु हो जाती है जिसमें घर की साफ-सफाई और साज-सजावट की जाती है। धनतेरस के दौरान सोना या चांदी खरीदने का भी रिवाज है। यदि आप भी इस धनतेरस में कुछ खरीदने का विचार बना रहे हैं तो तांबे के बर्तन खरीद सकते हैं। धनतेरस के दिन तांबे के बर्तन क्यों खरीदना चाहिए।अधिकांश लोग धनतेरस के दिन कुछ न कुछ खरीदते हैं। ऐसे में क्यों न कोई ऐसी चीज खरीदी जाये जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के नजरिये से भी अच्छी हो। आप इस धनतेरस में तांबे का बर्तन खरीद सकते हैं। क्योंकि धनतेरस के दिन सोने-चांदी के सिक्के,मूर्तियां और बर्तन आदि खरीदने का रिवाज है। जिसे पूरा करने के लिए आप तांबे के बर्तन खरीद सकते हैं। तांबा हमारे शरीर के लिए एक आवश्यक खनिज माना जाता है।
तांबे के बर्तन में रात भर पानी रखने और सुबह इसे पीने से शरीर के समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद मिलती है। जब पानी तांबे के बर्तन में रखा जाता है तो तांबा धीरे-धीरे पानी में प्रवेश करता है और जब इसे पीया जाता है तो यह कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इस पानी के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि यह कभी बासा नहीं होता। इसलिए तांबे के बर्तन में लंबे समय तक पानी रखा जा सकता हैधनतेरस पर स्वर्ण और चाँदी के आभूषण खरीदना शुभ माना जाता है, इस दिन चाँदी का सिक्का खरीदा जाता है, धनतेरस में अधिकतर बर्तन खरीदते है, इस दिन पर खरीदी गयी वस्तुओं का पूजन दीपावली वाले दिन किया जाता है।
लोग इस दिन अपनी सामर्थ्य के अनुसार वस्तुएं खरीदते है। इस दिन लक्ष्मी जी व गणेश जी की चांदी की प्रतिमाओं को घर लाना अत्यंत शुभ माना जाता है, घर- कार्यालय, व्यापारिक संस्थाओं में इस दिन मूर्ति लाना धन, सफलता व उन्नति को बढाता है,धनतेरस पर नए उपहार, सिक्का , बर्तन व गहनों की खरीदारी करना शुभ रहता है, इस दिन शुभ मुहूर्त में सात धान्यों की पूजा की जाती है। यह सात धान्य गेहूं, उडद, मूंग, चना, जौ, चावल और मसूर है, पूजन सामग्री में विशेष रुप से स्वर्णपुष्पा के पुष्प से भगवती का पूजन करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इस दिन भोग के रूप में श्वेत मिष्ठान का प्रयोग किया जाता है इस दिन लक्ष्मी का पूजन करने का विशेष महत्व है। तांबे के बर्तन के पानी से होते हैं ये फायदे आयुर्वेद में माना गया है कि ताम्बे के बर्तन में एकत्रित जल त्रिदोष नाशक होता है। इसे ‘तमारा’जल नाम भी दिया जाता है ढ्ढ इसकी सबसे बड़ी खूबी होती है कि यह अधिक समय तक सुरक्षित रहता है। ताम्बे को जीवाणुरोधी प्रभाव के कारण भी जाना जाता है। अतः ताम्बे के बर्तन में एकत्रित किया गया पानी से संक्रमण से फैलने वाले रोगों से बचा जा सकता है।
ताम्बे के बर्तन में एकत्रित किया पानी थाईरोक्सिन हारमोन के स्तर के नियंत्रण में भी मददगार होता है। ताम्बे के बर्तन में एकत्रित जल पीना हमारे मस्तिष्क की कार्यकुशलता को भी बढाता है,साथ ही साथ सूजनरोधी प्रभाव के कारण जोड़ों के दर्द में भी लाभ प्रदान करता है अमेरीकन कैंसर सोसाइटी के शोध अनुसार ताम्बा कैंसर की प्रारम्भिक अवस्था में काफी मददगार होता है। ताम्बे को अपने एंटीमाइक्रोबीयल एवं एंटीवायरल प्रभावों के कारण जल्द ही घावों को भरने वाले गुणों से युक्त माना गया है।ताम्बे के बर्तन में एकत्रित पानी हमारे शरीर की अतिरिक्त चर्बी के साथ-साथ हमारे वजन को नियंत्रित करने में भी मददगार होता है। ताम्बे को एक ऐसे धातु के रूप में जाना जाता है जिसकी अल्प मात्रा शरीर में संपन्न होनेवाली क्रियाओं के लिए आवश्यक होती है। यह पोषक तत्वों के रक्तवाहिनियों में संचरण को भी नियंत्रित करता है। जिससे एनीमिया जैसी स्थितियों में भी काफी लाभ मिलता है।
ताम्बे के बर्तन में एकत्रित पानी हमारे दिल सहित रक्तचाप को नियंत्रित रखता है ताबें का काम करने वाले परिवार अब धीरे.धीरे दूसरे पेशे की तरफ बढ़ रहे हैं। महंगाई की मार के कारण आजकल टम्टा मोहल्ले से लोग तांबे का सामान नहीं खरीद रहें हैं। उत्तराखंड बनने के बाद तेजी के हस्तशिल्प तांबे के कारोबार में कमी आई है। समय रहते सरकार ने ताम्र नगरी को बचाने का काम नहीं किया तो वह दिन भी दूर नहीं, जब ताम्र नगरी में तांबे के बर्तन बनाने वाला एक भी परिवार नहीं मिलेगा। दीपावली में चीन ने बाजार में इस कदर कब्जा किया कि आज लोग धनतेरस पर भी तांबे के बर्तन नहीं खरीद रहे हैंण् इस तांबे के कार्य को बचाने के लिए सराकर ने प्रोत्साहन शुरू किया है। दीपावली त्यौहार के रूप से संग्रहित आवश्यक होती है।
( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )