गंगोत्री धाम (Gangotri dham) के कपाट शीतकालीन के लिए हुए बंद, हर-हर गंगे से गूंज उठा मंदिर परिसर
उत्तरकाशी/लोक संस्कृति
उत्तराखंड में स्थित विश्व प्रसिद्ध धार्मिक स्थल चार धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होना शुरू हो गए हैं। शनिवार दोपहर 12:14 पर गंगोत्री धाम के कपाट पूरे विधि विधान के साथ बंद किए गए। गंगोत्री धाम के कपाट बंद होने के मौके पर धाम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। हर-हर गंगे, जय मां गंगे के जयकारों से इस दौरान धाम गूंज उठा।
कपाट बंद होने से पहले शुक्रवार को गंगोत्री मंदिर का भव्य रूप से सजाया गया है। शुक्रवार को गंगोत्री धाम और गंगा घाट पर 5100 दीपक प्रज्वलित भी किए गए। अब छह माह के लिए मां गंगा के दर्शन अब शीतकालीन पड़ाव मुखबा स्थित गंगा मंदिर में होंगे। इस अवसर पर धाम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
वहीं केदारनाथ धाम और यमुनोत्री धाम के कपाट भाईदूज के अवसर पर रविवार को शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे। केदारनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया मंगलवार से शुरू हो गयी। मंगलवार को विधिविधान के साथ पूजा कर भकुंट भैरवनाथ के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए गए। केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह डोली के कार्यक्रम के मुताबिक, 3 नवंबर को चल-विग्रह डोली केदारनाथ मंदिर से सुबह 8:30 बजे प्रस्थान करेगी। फिर इसके बाद रात में विश्राम के लिए रामपुर पहुंचेगी। 4 नवंबर को डोली रामपुर से सुबह प्रस्थान करेगी और फाटा, नारायकोटी से गुजरते हुए रात को विश्राम के लिए श्री विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी।
4 नवंबर को तृतीय केदार तुंगनाथ के कपाट बंद किए जाएंगे। भगवान बद्री विशाल के बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को बंद किए जाएंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यात्राकाल के दौरान दोनों धामों में शुक्रवार शाम तक 15 लाख 21 हजार 752 तीर्थयात्री पहुंच चुके हैं, जिसमें यमुनोत्री धाम में 7 लाख 10 हजार और गंगोत्री धाम 8 लाख 11 हजार श्रद्धालु पहुंचे। वहीं केदारनाथ धाम में 31 अक्टूबर तक श्रद्धालुओं की संख्या 1602144 पहुंच गई, जबकि कपाट बंद होने के मौके पर भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के मौजूद रहने की उम्मीद है।
दरअसल, चारों धाम ऊंचाई पर हैं। ऐसे में यहां ठंड और भी चरम सीमा पर रहती है। इन सभी धामों तक पहुंचने का रास्ता भी बेहद कठिन है, जो ठंड के समय और भी ज्यादा मुश्किल हो जाता है। जैसे-जैसे आप ऊंचाई पर पहुंचते हैं, उतनी ही ठंड बढ़ती जाती है और आपको सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। इन जगहों पर ठंड के समय भारी बर्फबारी भी होती है। जिसकी वजह से भैया दूज के बाद केदारनाथ के दर्शन बंद कर दिए जाते हैं। हिंदुओं में केदारनाथ धाम की काफी मान्यता है। पत्थरों से बने कत्यूरी शैली से बने इस मंदिर की इतिहास की बात करें, तो मान्यता है कि ये इस मंदिर का निर्माण पाण्डवों के पौत्र महाराजा जनमेजय ने कराया था। यहां स्थित स्वयम्भू शिवलिंग अति प्राचीन है। साल 2023 में केदारनाथ की बाढ़ को कोई नहीं भूल सकता, जब उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश राज्यों में अचानक आई बाढ़ और भूस्खलन के कारण केदारनाथ सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्र रहा। मंदिर के आसपास की मकान ढह गए थे और मंदिर को भी क्षति पहुंची थी।
इस साल 10 मई से चार धाम यात्रा की हुई शुरुआत
बता दें, इस साल 10 मई से चारधाम यात्रा शुरू हुई थी। इस साल कपाट खुलते ही लाखों की भीड़ बाबा के दर्शन के लिए पहुंच गई थी, जिसकी वजह से कई लोग दर्शन भी नहीं कर पाए थे। कई भक्तों को तो बीच रास्ते से ही वापस लौटना पड़ा था। इस साल चारधाम यात्रा 30 दिन छोटी है। 22 अप्रैल 2023 को कपाटोद्घाटन के बाद गंगोत्री मंदिर के कपाट 14 नवंबर 2023 को बंद हुए थे।
वहीं, यमुनोत्री मंदिर के कपाट 15 नवंबर 2023 को बंद हुए थे। इस तरह पिछले साल गंगोत्री धाम की यात्रा 207 दिन और यमुनोत्री धाम की यात्रा 208 दिनों तक चली थी। गंगोत्री धाम में 9 लाख 5 हजार 174 और यमुनोत्री धाम में 7 लाख 35 हजार 244 श्रद्धालुओं ने दर्शन किए थे। जबकि इस साल गंगोत्री धाम की यात्रा 177 दिन और यमुनोत्री धाम की यात्रा 178 दिनों तक ही चली। इसके बावजूद अभी तक पंद्रह लाख से ज्यादा श्रद्धालु आए। जिससे इस साल दैनिक औसत के आधार पर सबसे ज्यादा तीर्थयात्रियों के आने का रिकॉर्ड बना। वहीं, चारों धामों में अब तक 44 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किया है। इनमें सबसे ज्यादा श्रद्धालुओं की संख्या बाबा केदारनाथ में है। यात्रा के अंतिम दौर में भी दर्शन के लिए तीर्थयात्रियों में गजब का उत्साह है। 3 नवंबर को भैया दूज के दिन बाबा केदारनाथ के कपाट बंद हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी शुक्रवार सुबह केदारनाथ धाम पहुंचे। यहा उन्होंने बाबा की विशेष पूजा अर्चना कर प्रदेश की खुशहाली की कामना की।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों से भी मुलाकात की। पूजा अर्चना करने के बाद केदारनाथ में हो रहे पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया। साथ ही अधिकारियों से केदारनाथ पुनर्निर्माण कार्यों की जानकारी भी ली। केदारनाथ धाम में चल रहे विकास कार्यों का महत्व बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये केवल धार्मिक स्थल का विकास नहीं है बल्कि इससे राज्य की संस्कृति, इतिहास और पहचान भी सुदृढ़ हो रही है।
केदारनाथ धाम के प्रति प्रधानमंत्री का विशेष लगाव किसी से छिपा नहीं है। सीएम धामी ने कहा कि पीएम मोदी ने कई बार धाम का दौरा किया और यहां चल रहे पुनर्निर्माण कार्यों की खुद निगरानी भी की है। उनके नेतृत्व में राज्य सरकार ने केदारनाथ धाम के पुनर्निर्माण कार्यों को नए आयाम तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा है, जिससे यह वैश्विक स्तर पर अद्वितीय आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर बन सके। इस दौरान सीएम धामी ने श्रद्धालुओं, साधु-संतों और स्थानीय निवासियों को विश्वास दिलाया कि राज्य सरकार आने वाले समय में केदारनाथ धाम को और अधिक सुविधाजनक, सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने का प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश सरकार की मंशा है कि यहां आने वाले हर श्रद्धालु को एक सुखद और सुरक्षित यात्रा का अनुभव मिले, जिससे केदारनाथ धाम की ख्याति देश-विदेश में और अधिक बढ़े। इसके लिए सभी जरूरी उपाय किए जा रहे हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी ने रविवार को बदरीनाथ और केदारनाथ धाम के दर्शन किए। उन्होंने बदरीनाथ मंदिर समिति को 5 करोड़ रुपये का दान भी दिया। मुकेश अंबानी हर साल दोनों धामों के लिए दान करते हैं।
मुकेश अंबानी द्वारा किया गया 5 करोड़ का दान मंदिर के विकास के लिए इस्तेमाल किया जाता है। साथ में इस राशि से मंदिर की सुविधाओं को और बेहतर किया जाएगा।