उत्तराखंड में प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा के बाद मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी शुरू
देहरादून/लोक संस्कृति
उत्तराखंड की धामी सरकार में मंत्रिमंडल विस्तार की तैयारी शुरू हो चुकी है। रविवार शाम को कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद राजधानी देहरादून से लेकर दिल्ली तक हलचल बढ़ी हुई है।
प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद पांच मंत्रियों की जगह खाली हो चुकी है। सियासी हलचलों के बीच मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी आज दिल्ली जा रहे हैं। अगर सब कुछ ठीक-ठाक रहा तो इसी सप्ताह मंत्रिमंडल विस्तार हो सकता है। दिल्ली में उत्तराखंड में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार में कौन-कौन नए चेहरे मंत्री बनेंगे, एक-दो दिन में फाइनल हो जाएगा।
मुख्यमंत्री धामी दिल्ली में पार्टी के आला कमान से मुलाकात करेंगे और मंत्रिमंडल विस्तार के बारे में चर्चा करेंगे। मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफे और सीएम धामी के दिल्ली दौरे के बाद यह संभावना जताई जा रही है कि धामी मंत्रिमंडल में नए चेहरों को शामिल किया जा सकता है।
सीएम धामी का दिल्ली दौरा और पार्टी आला कमान से मुलाकात इस बात का संकेत है कि मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर कोई नई घोषणा हो सकती है।
फिलहाल पार्टी में बिशन सिंह चुफाल, मदन कौशिक, बंशीधर भगत, खजान दास और अरविंद पांडे पांच ऐसे वरिष्ठ विधायक हैं,जो पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे हैं। लेकिन यह सभी नाम उम्र अनुभव, क्षेत्रीय, जातीय और राजनीति समीकरणों के हिसाब से कितने महत्वपूर्ण होंगे, यह केंद्र नेतृत्व और सीएम धामी को तय करना है।
इन पांच नाम के अलावा हरिद्वार से आदेश चौहान, प्रदीप बत्रा देहरादून से विनोद चमोली, मुन्ना सिंह चौहान,सहदेव पुंडीर और उमेश शर्मा को के नामों की चर्चा भी चल रही है। टिहरी से विनोद कंडारी और रुद्रप्रयाग से भरत चौधरी के नाम चर्चा में है।स्पीकर रितु खंडूरी भूषण को कैबिनेट में जगह मिल सकती है। उनकी जगह किसी वरिष्ठ नेता को विधानसभा अध्यक्ष बनाया जा सकता है। वहीं उधम सिंह नगर से अरविंद पांडे के अलावा रुद्रपुर विधायक शिव अरोड़ा के नाम भी चर्चाओं में है।
वहीं प्रेमचंद अग्रवाल के इस्तीफा देने के बाद उनके समर्थकों में भी भारी नाराजगी है। राजधानी देहरादून और ऋषिकेश में वैश्य समाज ने कड़ा एतराज बताया है। प्रेमचंद अग्रवाल ऋषिकेश विधानसभा सीट से भाजपा विधायक हैं और धामी सरकार में संसदीय, शहरी विकास और वित्त मंत्री के पद पर थे। पिछले महीने के अंत में सदन के बजट सत्र के दौरान अग्रवाल की टिप्पणी से लोग आक्रोशित हो उठे थे और उन्हें पद से हटाने की मांग चल रही थी।
इन सब के बीच अग्रवाल ने अब अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इस्तीफा देने के दौरान प्रेमचंद अग्रवाल काफी भावुक नजर आए। पार्टी संगठन के ओर उन पर इस्तीफा देने का दबाव था। कई पार्टी नेताओं ने भी उनके बयान पर नाराजगी जताई थी। इसके बाद उन्होंने यह फैसला किया है।