एलएसी पर शांति : समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख से भारत और चीनी सेनाएं पीछे हटने लगी, गलवान घाटी में चार साल से दोनों देशों के बीच चला आ रहा था तनाव
देहरादून/लोक संस्कृति
भारत और चीन के बीच हुए समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में हालात बेहतर हुए हैं। दोनों देशों की सेनाएं पीछे हटने लगी हैं। देपसांग और डेमचॉक में स्थानीय कमांडर स्तर की मीटिंग 21 अक्टूबर को हुई थी। इस मीटिंग में दोनों देशों के बीच सहमति बनी और अब सेनाएं पीछे हटने लगी हैं।
बुधवार को डेमचॉक में दोनों तरफ से एक-एक टेंट हटाया गया। गुरुवार को भी कुछ टेंपरेरी स्ट्रक्चर भी तोड़े गए हैं। चीनी सेना और भारतीय सेना की ओर से अस्थायी संरचना और बेस हटा दिए गए हैं। दोनों पक्ष डेमचोक और देपसांग में फिजिकल वेरिफिकेशन और हवाई रिकॉर्डिंग कर सकते हैं। यही वह जगह है, जहां टकराव हुआ था। डेमचॉक में भारतीय सैनिक चार्डिंग नाले के पश्चिम की तरफ पीछे की ओर जा रहे हैं और चीनी सैनिक नाले के दूसरी तरफ यानी पूरब की तरफ वापस आ गए हैं।
बता दें कि दोनों सेनाओं के बीच 2020 में गलवान में झड़प हुई थी। ऐसा टकराव दोबारा ना हो इसलिए दोनों देशों ने नया पेट्रोलिंग समझौता किया है। यह समझौता डेमचोक और देपसांग के लिए है। यहां भारत-चीन के बीच 2020 से टकराव के हालात बने हुए थे। भारतीय सेना ने उम्मीद जताई है कि सैनिक अब देपसांग में पेट्रोलिंग पॉइंट तक जा सकेंगे। नॉर्थ में दौलत बेग ओल्डी और काराकोरम दर्रे की तरफ 16 हजार फीट की ऊंचाई पर टेबल टॉप पठार भी शामिल है। साउथ में डेमचोक के पास चारडिंग निंगलुंग नाला ट्रैक जंक्शन से भी सैनिक हट रहे हैं। यह वही इलाका है जहां चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय इलाके में कुछ टेंट लगाए हैं। भारतीय सैनिक इस क्षेत्र में चीनी पेट्रोलिंग टीम को भी नहीं रोकेंगे।
पैंगॉन्ग त्सो के उत्तरी छोर पर फिंगर 8 तक गश्त बहाल होगी, यहां भारतीय सेना फिंगर 4 पॉइंट तक नहीं जा पा रही थी। यहां भारतीय सेना चीन को भी पेट्रोलिंग से नहीं रोकेगी। आमने-सामने टकराव से बचने के लिए दोनों सेनाएं अलग-अलग दिन पेट्रोलिंग करेंगी। एक-दूसरे को अपनी पेट्रोलिंग की तारीख और समय के बारे में पहले से खबर करेंगी। मकसद यह है कि सैनिकों के बीच कोई झड़प और हिंसा न हो। पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने के लिए चीन और भारत राजी हुए। यानी अब चीन की आर्मी उन इलाकों से हटेगी, जहां उसने अतिक्रमण किया था। उल्लेखनीय है कि 15 जून 2020 को चीन ने ईस्टर्न लद्दाख के सीमावर्ती इलाकों में एक्सरसाइज के बहाने सैनिकों को जमा किया था। इसके बाद कई जगह पर घुसपैठ की घटनाएं हुई थीं।
भारत सरकार ने भी इस इलाके में चीन के बराबर संख्या में सैनिक तैनात कर दिए थे। हालात इतने खराब हो गए कि एलएसी पर गोलियां चलीं। इसी दौरान गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। बाद में भारत ने भी इसका मुंहतोड़ जवाब दिया था। इसमें करीब 60 चीनी जवान मारे गए थे। तभी से दोनों देशों के बीच तनातनी चली आ रही थी।