ऑपरेशन कालनेमि : सीएम धामी के ऑपरेशन कालनेमि से मचा हड़कंप, देहरादून, हरिद्वार में 38 साधु अरेस्ट, फर्जी बाबाओं के खिलाफ धरपकड़ अभियान जारी
देहरादून/लोक संस्कृति
शुक्रवार 11 जुलाई को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर राज्य में ऑपरेशन कालनेमि शुरू हो गया है। धामी सरकार के इस एक्शन के बाद प्रदेश में पुलिस ने ढोंगी बाबाओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है जो धार्मिक चोला पहनकर लोगों को ठगने का काम करते हैं और लोगों की आस्था को ठेस पहुंचाते हैं।राजधानी देहरादून से लेकर हरिद्वार तक आस्था के नाम पर पाखंड फैलाने वाले फर्जी बाबाओं, छद्म वेशधारियों के साथ तंत्र-मंत्र विद्या का ढोंग करके भोली भाली जनता को लूटने वालों के खिलाफ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के लिए गए “एक्शन” से हड़कंप मच गया।
सीएम धामी ने उत्तराखंड देवभूमि में फर्जी बाबाओं के खिलाफ “ऑपरेशन कालनेमि” अभियान छेड़ दिया है। हरिद्वार, देहरादून में पिछले लंबे समय से ऐसे बाबाओं के खिलाफ शिकायत मिल रही थी। इन पाखंडियों में कई मुस्लिम भी पकड़े जा चुके हैं।
हरिद्वार में कई मुस्लिम छद्म वेशधारियों ने अपना अड्डा बना रखा है। मुख्यमंत्री धामी ने कड़े शब्दों में कहा-उत्तराखंड की पवित्र भूमि पर आस्था की आड़ में छल अब बर्दाश्त नहीं होगा। उत्तराखंड में आस्था के नाम पर फैलते पाखंड और ठगी के खिलाफ अब राज्य सरकार ने सख्त रुख अपनाया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में शुरू हुआ ‘ऑपरेशन कालनेमि’ ऐसे फर्जी बाबाओं और बहुरूपियों के खिलाफ बड़ा कदम है, जो साधु-संतों के वेश में जनता को गुमराह कर रहे थे। मुख्यमंत्री के निर्देश पर देहरादून और हरिद्वार पुलिस ने शुक्रवार को फर्जी बाबाओं के खिलाफ घरपपकड़ का अभियान चलाया।
गुरु पूर्णिमा के दिन शुरू हुए ‘ऑपरेशन कालनेमि’ ने उन चेहरों को बेनकाब किया है जो साधु-संत के वेश में समाज को गुमराह कर रहे थे।
देहरादून में एक बांग्लादेशी नागरिक समेत 25 फर्जी बाबाओं की गिरफ्तारी और हरिद्वार में 13 ढोंगी साधुओं की धरपकड़ ने इस पाखंड की गहराई को उजागर किया है। श्यामपुर क्षेत्र से पकड़े गए 18 बहुरूपिए तो कांवड़ियों को तंत्र-मंत्र के नाम पर डराने और बहकाने में लगे थे।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का यह सख्त संदेश साफ है कि धार्मिक आस्था का अपमान करने वालों को उत्तराखंड की धरती नहीं बख्शेगी। अब वक्त आ गया है कि असली और नकली संतों के बीच की रेखा स्पष्ट हो, और यही काम कर रहा है ‘ऑपरेशन कालनेमि’। यह सिर्फ एक अभियान नहीं, आस्था की रक्षा के लिए एक निर्णायक युद्ध है। सीएम धामी का यह ऑपरेशन देर आया दुरुस्त आया, कहा जा सकता है।
प्रदेश में कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां असामाजिक तत्व साधु-संतों का भेष धारण कर लोगों, विशेषकर महिलाओं को ठगने का कार्य कर रहे हैं। इससे न सिर्फ लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं, बल्कि सामाजिक सौहार्द और सनातन परंपरा की छवि को भी नुकसान पहुंच रहा है। ऐसे में किसी भी धर्म का व्यक्ति यदि ऐसे कृत्य करता हुआ मिलता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। जिस प्रकार असुर कालनेमि ने साधु का भेष धारण कर भ्रमित करने का प्रयास किया था, वैसे ही आज समाज में कई “कालनेमि” सक्रिय हैं जो धार्मिक भेष धारण कर अपराध कर रहे हैं। हमारी सरकार जनभावनाओं, सनातन संस्कृति की गरिमा की रक्षा और सामाजिक सौहार्द्र बनाये रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
आस्था के नाम पर पाखंड फैलाने वालों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। उल्लेखनीय है कि भारत को एक बाबा प्रधान देश कह रहे हैं तो शायद यह अतिश्योक्ति नहीं है।
दरअसल, हाल में घटित फर्जी बाबाओं के जो काले कारनामे देखने को मिले, उससे निश्चित ही हमारी आस्था और विश्वास को गहरी चोट पहुंची है। क्या यह कम विडंबना का विषय है कि आज हमारे देश में जो सर्वेक्षण बेरोजगारों की गिनती करवाने के लिए होना चाहिए था, वह फर्जी बाबाओं की गिनती को लेकर किया जा रहा है। जब कोई व्यक्ति सरकारी धन का गबन करता है तो उसे अपराधी घोषित किया जाता है। तो क्या ये अलग-अलग धर्मों के बाबा और तथाकथित धर्मगुरु, जो देश के लोगों से करोड़ों की संपत्ति आस्था के नाम पर ठग या लूट रहे हैं।
उत्तराखंड पुलिस के पकड़े गए फर्जी बाबाओं में बीस अलग-अलग राज्यों के
पुलिस ने जिन 25 बाबाओं को पकड़ा है, उनमें से 20 अलग-अलग राज्यों से हैं, जबकि एक आरोपी रूकन रकम उर्फ शाह आलम, बांग्लादेश के टंगाइल जिले का निवासी निकला। वह वर्षों से भारत में अवैध रूप से रहकर बाबा बनकर लोगों को मूर्ख बना रहा था। उसके खिलाफ विदेशी अधिनियम में केस दर्ज कर लिया गया है और केंद्रीय एजेंसियों द्वारा उससे पूछताछ की जा रही है। पुलिस के गिरफ्तार किए गए इन बाबाओं के नाम इस प्रकार हैं। प्रदीप निवासी ग्राम सुनहरी खड़खड़ी, गागलहेड़ी, सहारनपुर उत्तर प्रदेश। अजय चौहान निवासी ग्राम कल्याणपुर, बरबीगा सेखपुरा, सहारनपुर। अनिल गिरी निवासी मुबारिकपुर, अम्ब, ऊना हिमाचल प्रदेश। मंगल सिंह निवासी शिवाजी मार्ग, कांवली रोड, देहरादून।
रोझा सिंह निवासी कांवली रोड। कोमल कुमार निवासी सासनी, हाथरस, उत्तर प्रदेश। अश्वनी कुमार निवासी सासनी, हाथरस, उत्तर प्रदेश। राजानाथ निवासी मोथरोवाला, सपेरा बस्ती, नेहरू कॉलोनी देहरादून
रामकृष्ण निवासी कंसपुर शिवपुरी, जगाधरी यमुनानगर, हरियाणा। शौकी नाथ निवासी खेड़ा बस्ती शिवपुर, जगाधरी, यमुनानगर, हरियाणा। मदन सिंह निवासी मटियानी, मडूवा, चंपावत। राहुल जोशी निवासी काली देवी मंदिर, हल्दौर, बिजनौर उत्तर प्रदेश। मोहम्मद सलीम निवसी पिरान कलियर, हरिद्वार। शिनभु निवासी अलवर, राजस्थान। सुगन योगी निवासी अलवर राजस्थान। मोहन जोशी निवासी दौसा, राजस्थान। नवल सिंह निवासी अलवर राजस्थान। भगवान सह निवासी दौसा राजस्थान।
हरिओम योगी निवासी दौसा राजस्थान। रामकुमार निवासी बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश। गिरधारीलाल निवासी दौसा राजस्थान। अर्जुन दास निवासी होरियो तुला, असम ,काकू निवासी टपरी बस्ती, हरिद्वार। सुरेश लाल निवासी बलिया उत्तर प्रदेश के हैं।
बता दें कि पुलिस ने राजधानी देहरादून में वर्ष-2012 में फर्जी तांत्रिक व बाबा की गिरफ्तारी को अभियान चलाया था। उस दौरान कई मामले लगातार सामने आए थे। दो मामलों में तो एक युवक व बच्ची की जान तक चली गई। शहर में दून अस्पताल से लेकर दून चौक, कनक चौक, प्रिंस चौक, गांधी पार्क, राजपुर रोड, घंटाघर, चकराता रोड, त्यागी रोड और रेलवे स्टेशन आदि ऐसे प्रमुख स्थान हैं, जहां चौक-चौराहों से लेकर होटलों तक तांत्रिक व बाबा अपना ठीया लगाए बैठे नजर आते हैं। ऐसे ही हरिद्वार और ऋषिकेश में फर्जी बाबाओं की फौज भी जमा हो गई है।