शरद पूर्णिमा : चंद्रग्रहण ने शरद पूर्णिमा उत्सव पर्व किया फीका, 9 घंटे रहेगा सूतक काल

शरद पूर्णिमा : चंद्रग्रहण ने शरद पूर्णिमा उत्सव पर्व किया फीका, 9 घंटे रहेगा सूतक काल

मंदिरों के बंद रहेंगे कपाट, ‘खीर पर गिरने वाले अमृत पर भी ग्रहण

लोक संस्कृति

आज शरद पूर्णिमा है। वैसे तो पूर्णिमा हर महीने आती है। लेकिन शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सबसे ज्यादा रोशनी बिखेरता है और कई कलाओं में दिखाई देता है। इस रात शरद पूर्णिमा उत्सव भी मनाया जाता है।

वहीं पूर्णिमा की रात खीर बनाकर मकान की छतों पर रखी जाती है। ‌मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात आसमान से अमृत बरसता है। वही अमृत खीर में भी टपकता है। इस बार वृंदावन में भी शरद पूर्णिमा उत्सव दिखाई नहीं देगा। इसकी वजह है कि आज चंद्र ग्रहण लग रहा है। जिसकी वजह से सूतक काल शुरू हो जाएंगे। इस दरमियान पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन, विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, व्यापार प्रारंभ जैसे शुभ काम नहीं होंगे। इसी कारण सूतक शुरू होते ही सभी मंदिर बंद हो जाते हैं।

सूतक काल में देवी देवताओं के मंत्रों का जप करने का विधान है। आज साल का आखिरी चंद्र ग्रहण शाम लग रहा है।

इस दौरान मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं। सूतक काल में भगवान की पूजा या उनकी प्रतिमा को स्पर्श नहीं करना चाहिए।

हिंदू धर्म में ग्रहण की बहुत बड़ी मान्यता है। शरद पूर्णिमा के दिन खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। रात भर चंद्रमा की रोशनी में रहने से उसमें औषधीय गुण आ जाते हैं। इस खीर का अगले दिन सेवन करना स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। खीर खाने से कई बीमारियों से छुटकारा मिलता है, मगर इस बार शरद पूर्णिमा पर ही चंद्रग्रहण पड़ रहा है। ऐसे में खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखना सही नहीं होगा।

चंद्र ग्रहण होने के 9 घंटे पहले से सूतक शुरू हो जाता है। इस कारण मंदिरों के कपाट आज शाम 4 बजे तक बंद हो जाएंगे और रात में शरद पूर्णिमा उत्सव भी नहीं मनाया जाएगा।

ग्रहण खत्म होने के बाद रविवार को सुबह मंदिरों की शुद्धि होगी, फिर पट खुलेंगे। ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 28 अक्टूबर को भारत में ग्रहण की शुरुआत मध्य रात्रि 01:05 बजे से होगी। मध्य रात्रि 02:24 बजे तक ग्रहण रहेगा।

चंद्र ग्रहण का सूतक ग्रहण शुरू होने से ठीक 9 घंटे पहले से शुरू हो जाता है और ग्रहण खत्म होने के साथ सूतक भी खत्म हो जाता है। चंद्र ग्रहण के समय दान-पुण्य करने का विशेष महत्व है। अगर इस दौरान राशि अनुसार दान किए जाए तो कुंडली के कई दोषों का असर कम हो सकता है। 28 अक्तूबर को लगने वाला चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देगा जिस कारण से इसका सूतक काल मान्य रहेगा।

भारत के साथ इन देशों में दिखाई देगा आंशिक चंद्र ग्रहण, सूतक काल में नहीं करने चाहिए शुभ कार्य

भारत के साथ पूरे एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, नॉर्थ अमेरिका में भी ये ग्रहण दिखाई देगा। वहीं भारत में चंद्र ग्रहण दिल्‍ली, गुवाहटी, जयपुर, जम्‍मू, कोल्‍हापुर, कोलकाता और लखनऊ, मदुरै, मुंबई, नागपुर, पटना, रायपुर, राजकोट, रांची, शिमला, सिल्‍चर, उदयपुर, उज्‍जैन, बडौदरा, वाराणसी, प्रयागराज, चेन्‍नई, हरिद्वार, द्वारका, मथुरा, हिसार, बरेली, कानपुर, आगरा, रेवाड़ी, अजमेर, अहमदाबाद, अमृतसर, बेंगलुरु भोपाल, भुवनेश्‍वर, चंडीगढ़, देहरादून, लुधियाना समेत कई शहरों में नजर आएगा।

बता दें कि जब सूर्य और चंद्रमा के बीच में पृथ्‍वी पूरी तरह से नहीं आ पाती और पृथ्‍वी की छाया चांद के कुछ हिस्‍से पर ही पड़ती है। इसे आंशिक चंद्र ग्रहण कहा जाता है। इस बार चंद्रमा के 12.6 % हिस्से पर ही धरती की छाया पड़ेगी। चंद्र ग्रहण और सूतक काल में नहीं करनी चाहिए शुभ कार्य। चंद्र ग्रहण का सूतक काल शुरू होने के बाद मंदिर में पूजा-पाठ न करें।

देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श न करें। सूतक काल लगने के बाद घर में भोजन न पकाएं। बल्कि सूतक काल से पहले घर में रखे खाने में तुलसी के पत्ते जरूर डाल दें। चंद्र ग्रहण की अवधि में भोजन ग्रहण न करें। इस दौरान क्रोध न करें। इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव अगले 15 दिनों तक रह सकता है। चंद्र ग्रहण के दौरान किसी भी सुनसान जगह या श्मशान भूमि के पास नहीं जाना चाहिए। इस दौरान नकारात्मक शक्तियां काफी ज्यादा हावी रहती हैं।

सूतक काल शुरू होने के बाद नए या शुभ काम की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। कहते हैं कि ग्रहण के दौरान नकारात्मक ऊर्जा अधिक रहती है। चंद्र ग्रहण का सूतक काल शुरू होने के बाद तुलसी के पौधे को न छुएं। नुकीले या धारदार उपकरणों के प्रयोग से भी बचें। चंद्र ग्रहण में क्या करें।

चंद्र ग्रहण के दौरान सिर्फ भगवान के मंत्रों का जप करना चाहिए, जो कि दस गुना फलदायी माना जाता है। चंद्र ग्रहण के बाद शुद्ध जल से स्नान करके, गरीबों का दान देना चाहिए। चंद्र ग्रहण के बाद पूरे घर को शुद्ध करना चाहिए। ऐसा करने से घर की सभी नकारात्मक शक्तियां दूर हो जाती है। ग्रहण के समय गायों को घास, पक्षियों को अन्न, जरूरत मंदों को वस्त्र दान देने से अनेक गुना पुण्य प्राप्त होता है।