ओडिशा में धार्मिक आस्था का सैलाब : पुरी में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) खींचने के लिए उमड़े लाखों भक्त

ओडिशा में धार्मिक आस्था का सैलाब : पुरी में भगवान जगन्नाथ रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) खींचने के लिए उमड़े लाखों भक्त

लोक संस्कृति

एक ऐसी धार्मिक रथ यात्रा जिसमें ओडिशा की धार्मिक नगरी पुरी 11 दिनों तक भक्ति में सराबोर रहती है। इसके साथ यह ओडिशा का सबसे बड़ा धार्मिक फेस्टिवल भी माना जाता है।

वहीं गुजरात के अहमदाबाद में भी भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा धूमधाम के साथ निकाली जाती है। बता दें कि पुरी और अहमदाबाद में एक साथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। अगर हम बात करें पूरी की तो यहां भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में देश-विदेश के लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं।

भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा आज से शुरू हो गई है। रथ यात्रा की शुरुआत हर साल आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है। वहीं शुक्ल पक्ष के 11वें दिन जगन्नाथ जी की वापसी के साथ इस यात्रा का समापन होता है।

हर साल आषाढ़ माह में यहां भव्य रथ यात्रा का आयोजन किया जाता है। जगन्नाथ मंदिर में भगवान जगन्नाथ विराजमान हैं, जो कि विष्णु जी के अवतार श्रीकृष्ण का ही रूप माने जाते हैं। पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा को खींचने में भक्तों में होड़ लगी रहती है।

ऐसे ही अहमदाबाद में माहौल दिखाई देता है। आज एक साथ पूरी और अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जा रही है। पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा मंगलवार दोपहर में शुरू होगी।

सुबह मंगला आरती हुई, खिचड़ी का भोग लगाया गया। फिर रथों की पूजा हुई। रथ में पहले बलभद्र, फिर बहन सुभद्रा और इसके बाद भगवान जगन्नाथ को बैठाया गया। इस रथ यात्रा में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा विराजमान होतीं हैं।

भगवान जगन्नाथ अपनी बहन सुभद्रा और भाई बलभद्र रथ यात्रा के दौरान गुड़िचा मंदिर अपनी मौसी के घर जाते हैं। यहां उनका खूब आदर-सत्कार होता है, मान्यता है कि मौसी के घर भगवान खूब पकवान खाते हैं, जिससे वो बीमार भी पड़ जाते हैं। भगवान के उपचार के लिए उन्हें पथ्य का भोग लगाया जाता है और पूरी तरह स्वस्थ होने के बाद ही भगवान भक्तों को दर्शन देते हैं।

पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर की परंपरा के अनुसार हर 12 साल में मंदिर की मूर्ति बदली जाती हैं। नई मूर्तियां की स्थापना के समय मंदिर के आसपास अंधेरा कर दिया जाता है। जो पुजारी ये कार्य करता है उसकी आंखों में पट्टी बंधी होती है और हाथों में कपड़ा लपेट दिया जाता है।

कहते हैं कि इस रस्म को जिसने देख लिया उसकी मृत्यु हो जाती है। पुरी में जगन्नाथ यात्रा को सुरक्षा को लेकर के पुख्ता अधिकार लिए गए हैं। बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती ओडिशा में हुई है।

इससे पहले सोमवार को भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को ग्रैंड रोड स्थित रथखाला से खींचकर पुरी के श्री जगन्नाथ मंदिर के सिंहद्वार ले जाया गया। इसी से आज यात्रा की शुरुआत हुई।

पुरी में केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव और अहमदाबाद में गृह मंत्री अमित शाह पहुंचे

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव भी यात्रा में शामिल होने पुरी पहुंचे हैं। यात्रा में शामिल होने से पहले दोनों नेताओं ने पुरी में शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती के दर्शन किए और आर्शिवाद लिया। वहीं गुजरात के अहमदाबाद में भगवान जगन्नाथ की 146वीं रथयात्रा निकाली गई। परंपरा के चलते सबसे पहले भगवान बलभद्र का रथ रवाना होता है। यह तकरीबन 45 फीट ऊंचा और लाल और हरे रंग का होता है। इसमें 14 पहिए लगे होते हैं। इसका नाम ‘तालध्वज’ है। इसके पीछे ‘देवदलन’ नाम का करीब 44 फीट ऊंचा लाल और काले रंग का सुभद्रा का रथ होता है। इसमें 12 चक्के होते हैं। आखिरी में भगवान जगन्नाथ का रथ रहेगा। इसका नाम ‘नंदीघोष’ है, जो कि पीले रंग का लगभग 45 फीट ऊंचा होता है। इनके रथ में 16 पहिए होते हैं। इसे सजाने में लगभग 1100 मीटर कपड़ा लगता है।

ओडिशा के बाद अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर में भव्य तरीके से रथ यात्रा निकाली जाती है। मंगलवार सुबह 7 बजे गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने पूजा-अर्चना कर रथ यात्रा की शुरुआत की। वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अहमदाबाद के जगन्नाथ मंदिर में अपने पूरे परिवार के साथ मंगल आरती की।

अहमदाबाद में रथयात्रा की सुरक्षा में 25 हजार जवान तैनात किए गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी आज से अमेरिका दौरे पर हैं लेकिन उन्होंने भी जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत पर बधाई दी है।