संकट में भारत का सबसे प्राचीन शनि मंदिर
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
उत्तरकाशी जिले में समुद्रतल से 2500 मीटर की ऊंचाई पर स्थित खरसाली गांव यमुना नदी के किनारे सुरम्यवादियों में बसा हुआ है।खरसाली से बंदरपूंछ, सप्तऋषि, कालिंदी, माला व भीम थाच जैसी चोटियों के दर्शन होते हैं। शीतकाल के दौरान आसपास की पहाड़ियां बर्फ की धवल चादर ओढ़े रहती हैं। जनवरी के दौरान खरसाली में भी जमकर बर्फबारी होती है, जिसका आनंद उठाने के लिए पर्यटक और यमुना घाटी के ग्रामीण बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं। यमुना के मायके व शीतकालीन प्रवास खरशालीगांव स्थित पौराणिक शनि मंदिर खतरे में है। 14 वीं शताब्दी में लकड़ी पत्थर से बने साढ़े चार मंजिला शनि मंदिर की दीवार चटकने के साथ चिनाई में प्रयुक्त लकड़ी सड़ने लग गई है। जिसके चलते मंदिर के क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है।
पिछले साल मां यमुना के शीतकालीन प्रवास खरशालीगांव स्थित पौराणिक शनि मंदिर की बुनियाद को काफी नुकसान हुआ था। जिसे थोड़ा बहुत ठीक किया गया। लेकिन खतरा अब भी बरकरार है। गुजाखुंटी की पारंपरिक तकनीक से कटे पत्थर और थुनेर की लकड़ियों के सड़ने से मंदिर के दीवारों के पत्थर खिसकने लगे हैं। पारंपरिक भूकंप रोधी तकनीक से निर्मित यह मंदिर अब तक कई बड़े भूकंप के झटके झेल चुका है। लेकिन भूकंप से तो नहीं पर अब सरकारी सिस्टम की उपेक्षा के चलते क्षतिग्रस्त होने की कगार पर है। वह यहां पिछले एक दशक से साल में दो बार बैसाखी और शनि जयंती पर भव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं। गत वर्ष वह यहां शनि जयंती के मौके पर अवतरित हुए शनि देव के पश्वा ने दो बार विनैला जैन परिवार को मंदिर के जीर्णोद्धार की अनुमति भी दे दी है। जिसका एक पत्थर भी एक आधारशिला के रूप में रखा गया है।
मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम व उनकी पत्नी विनैला जैन की शनि मंदिर के प्रति गहरी आस्था है। वह पौराणिक मंदिर का स्थानीय लोगों की सहमति व इच्छा अनुसार जीर्णोद्धार करना चाहते हैं। इसके लिए जल्द क्षेत्र के लोगों की बैठक कर रणनीति तैयार की जाएगी। ताकि समय रहते जर्जर हाल में पहुंचे मंदिर को बचाया जा सके। इस मंदिर के कपाट ग्रीष्म काल में भक्तों के लिए वैशाखी पर खुलते हैं। भगवान शनि देव की कांस्य मूर्ति को चाया, सांग्या और नाग देवता के साथ यहां रखा गया है। मान्यता है, कि मंदिर में शनि देव पूरे 12 महीने विराजमान रहते हैं। हर साल भाई दूज या यम द्वितीया के अवसर पर यमुनोत्री धाम के कपाट बंद हो जाते हैं और देवी यमुना की मूर्ति इस मंदिर में लाई जाती है।
मंदिर में एक अखंड ज्योति जलती रहती मंदिर में एक अखंड ज्योति जलती रहती है। ऐसा माना जाता है, कि मंदिर की अखंड ज्योति के दर्शन मात्र से ही सारे कष्टों से मुक्ति मिल जाती है और मंदिर में शनिवार के दिन शनिदेव की पूजा करने से व्यक्ति को कुंडली के शनि दोष से भी छुटकारा मिल जाता है। शनि धाम उत्तराखंड के उत्तरकाशी ज़िले के खरसाली गांव में स्थित है। यह शनि देव का आठ सौ वर्ष पुराना मंदिर है। यह हिंदू तीर्थ शनि देव का सबसे पुराना मंदिर माना जाता है। खरसाली गांव समुद्र तल से 2700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह यमुना के शीतकालीन प्रवास स्थल के रूप में जाना जाता है।
मान्यता है कि यह मंदिर पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान बनाया था। इस मंदिर में एक अखंड ज्योति है। ऐसा माना जाता है कि इस ज्योति के दर्शन मात्र से ही जीवन के सारे दुख दूर हो जाते हैं। मंदिर का पुननिर्माण किया जाना जरूरी है। इसके लिए लोग तैयार भी हैं। जिस तरह से मंदिर बना हुआ है। ठीक उसी तरह का मंदिर बनाने की दिशा में कदम भी बढ़ाए गए थे। आर्कीटेक्ट हू-ब-हू मंदिर बनाने की बात भी कह रहे हैं। जरूरत है कि अब लोगों को आपसी सहमति से फैसला लेना चाहिए। देवता पहले ही अनुमति दे चुके हैं।
लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं