शानदार टैलेंट: एक्सीडेंट में दोस्त की मौत ने बना दिया कमाल का हेलमेट (helmet)
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
देश के 62 लाख किलोमीटर लंबे सड़कों के नेटवर्क में सुरक्षित यात्रा आज एक चुनौती बन गई है। सड़क हादसों में अमेरिका और चीन से आगे निकल गया है भारत। चर्चित कहावत है दुर्घटना से देर भली सावधानी से मौत टली। जी हां आज मानव जीवन की मूलभूत आवश्यकता मात्र रोटी कपड़ा व मकान न होकर सड़कों का प्रयोग या हमारी सड़कें भी हैं। जैसे ही हम घर से निकलते हैं। देखते हैं कि हमारे देश में बढ़ती सड़क दुर्घटनाएं आपदा का रूप ले चुकी हैं। प्रति वर्ष लगभग डेढ़ लाख से ज्यादा मौतें सड़क हादसों में हो रही हैं। देश में ज़्यादातर एक्सीडेंट नशे में गाड़ी चलाने और हेलमेट न पहनने से होते हैं। अमूमन लोग हेलमेट सुरक्षा के लिए नहीं, चालान से बचने के लिए पहनते हैं। भारतीयों की इस आदत का समाधान है।
सड़क हादसों में जान गंवाने के मामले में उत्तराखंड 22वें स्थान पर है।जबकि सड़क हादसों में सर्वाधित मौतों के मामले में पहले नंबर पर उत्तर प्रदेश और दूसरे नंबर पर महाराष्ट्र और तीसरे नंबर पर मध्य प्रदेश है। परिवहन मंत्रालय की ओर से जोरी सड़क हादसों की रिपोर्ट के मुताबिक हादसों की बात करें तो उत्तराखंड, पूरे देश में 23वें स्थान पर जबकि तमिलनाडु पहले, मध्य प्रदेश दूसरे और उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।बड़ा प्रश्न है कि फिर मार्ग दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय क्यों नहीं किए जा रहे हैं? सच यह है कि बेलगाम वाहनों की वजह से सड़कें अब पूरी तरह असुरक्षित हो चुकी हैं। सड़क पर तेज गति से चलते वाहन एक तरह से हत्या के हथियार होते जा रहे हैं वहीं सुविधा की सड़के खूनी मौतों की त्रासद गवाही बनती जा रही है।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय लोगों के सहयोग से वर्ष 2025 तक सड़क हादसों में 50 प्रतिशत की कमी लाना चाहता है सड़क हादसों के पीछे जो वजह है उनका विश्लेषण करने पर इनका वर्गीकरण दो प्रकार से किया जा सकता है। प्रथम मानवीय भूल या लापरवाही तो दूसरा तकनीकी कारणों से इसमें भी प्रथम अर्थात मानवीय लापरवाही का योगदान सड़क दुर्घटना में लगभग 80 फीसद है। जैसे ओवर स्पीड वाहन चालन, गलत ओवरटेकिग, दो वाहनों के बीच पर्याप्त दूरी न होना, नशे का सेवन करके वाहन चलाना, वाहन चलाते समय मोबाइल से बात करना, नाबालिग के हाथ में स्टेयरिग देना तो दो व चार पहिया वाहन चलाते समय हेलमेट व सीट बेल्ट का प्रयोग न करना आदि। जबकि द्वितीय कारक में वाहन के ब्रेक या स्टेयरिग में खराबी, सड़कों की बनावट में दोष, सड़कों पर टहलते आवारा पशुओं का अचानक सामने आ जाना, गलत वाहन पार्किंग, धुंध (कोहरा) में तेज रफ्तार व वाहनों में रिफ्लेक्टर, बैक लाइट, फाग लाइट आदि का अभाव व अन्य कारक हादसों का कारण बनते हैं।
सड़क पर यातायात करते हुए हेल्मेट पहनना जरूरी होता है।क्योंकि ये हमें दुर्घटनाओं से बचाता है। लेकिन कई बार ऐसा हो जाता है कि लोग पास में जाने के लिए हेलमेट का इस्तेमाल नहीं करते और छोटी सी लापरवाही ही उनके लिए खतरा साबित हो जाती है। बिहार के चार युवाओं ने मिलकर स्मार्ट हेलमेट बनाया है। हेलमेट की खासियत यह है कि जब तक इसे राइडर नहीं पहनेगा, तब तक बाइक स्टार्ट ही नहीं होगी। यह हेलमेट लोगों को हादसे से बचाएगा। इसकी कीमत 1400 रुपए से 1800 रुपए तक है। युवाओंसे बात करते हुए बताया कि बाइक एक्सीडेंट में दोस्त की मौत हो गई थी। इसके बाद उनके मन में इस तरह का हेलमेट बनाने का आइडिया आया।हेलमेट के साथ ही बाइक में डिवाइस लगाया जाता है, जिससे बिना हेलमेट पहने आप अपनी बाइक को स्टार्ट नहीं कर सकते हैं। इसमें ऑटोमेटिक मोड और नॉर्मल मोड दो मोड हैं।
नॉर्मल मोड में आप एक नॉर्मल हेलमेट के जैसा उपयोग कर सकते हैं और ऑटोमेटिक मोड में आपको गाड़ी स्टार्ट करने के लिए हेलमेट पहनना होगा। तभी जाकर गाड़ी स्टार्ट होगी। हेलमेट में चार्जिंग पॉइंट भी दिया गया है। एक बार चार्ज होने के बाद यह कम से कम 15 दिनों तक चलता है। यह हेलमेट बिल्कुल साधारण दिखता है, लेकिन यह बाइक को चोरी होने से बचा सकता है। इसके साथ ही यह चालान काटने से और लोगों को हादसे से भी बचाएगा।वहीं, हेलमेट को बनाने में लुक का भी विशेष ख्याल रखा गया है। लड़कियों के लिए अलग, स्पोर्ट्स के लिए अलग और आम तौर पर जो हेलमेट लोग पहनते हैं। उसमें भी कई तरह के डिजाइन में हेलमेट को तैयार किया गया है। इस हेलमेट के बॉडी को भी इतना मजबूत बनाया गया है कि अगर इस पर कोई गाड़ी चढ़ भी जाएगी, तब भी इसमें एक खरोंच तक नहीं आएगी।
सड़क पर जोड़ से हेलमेट को फेंककर लाइव दिखाया, लेकिन उसमें एक खरोच भी नहीं आई। जहां एक तरफ पुलिस लगातार हेलमेट पहनने की अपील करती है तो वहीं अब रुड़की के दो होनहार बच्चों ने स्मार्ट हेलमेट बना डाला। बिना हेलमेट पहने आपकी बाइक स्कूटी स्टार्ट नहीं होगी।हेलमेट की खासियत है कि यह बाइक से एक विशेष कोडिंग से जुड़ा होगा। इस हेलमेट को बनाने वाले होनहारों हैं। दोनों कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग रुड़की में बीबीए के छात्र हैं। इनके बनाए हेलमेट में कई खूबियां हैं। तीन फोन नंबर भी अटैच किए जा सकते हैं। जिनमें एक नंबर एंबुलेंस और दो नंबर किसी परिचित के हो सकते हैं। वही आपको बता दें कि इस हेलमेट को बनाने में करीब 2500 रुपये की लागत आई, अब दोनों कोशिश कर रहे हैं। कि उनकी तकनीक बाइक में सेट होकर आए, ताकि कई लोगों की जान बचाई जा सके। कई बार यह देखने को मिलता है लोग भूल से हेलमेट नहीं लगाते हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में यह हेलमेट काफी कारगर साबित होगा।
स्मार्ट हेलमेट में आपको बेहतर सेफ्टी मोड मिलता है। यह हेलमेट आपको बताएगा कि आपने ठीक से इसे पहनाहै या नहीं और इसके फंक्शन को आप तभी यूज कर पाएंगे देश के प्रधानमंत्री के मेक इन इंडिया से प्रेरित होकर बनाया है। स्मार्ट हेलमेट के दो पार्ट हैं, पहला एक ट्रांसमीटर सेंसर है। जो हेलमेट के अंदर लगा है। दूसरा सेंसर रिसिवर किट है, जो हेलमेट के ट्रांसमीटर सेंसर से जुडा है। ये पूरी स्मार्ट हेलमेट डिवाइस रेडिओ फ्रिक्वेंशी टेक्नोलॉजी के माध्यम से एक दूसरे से जुडा होता है। जैसे ही हम हेलमेट को पहनते हैं। उसमे लगा सेंसर एक्टिवेट हो जाता है और मोटर साइकिल में लगे रिसिवर को अपने सिग्नल की मदद से ऑन कर देता है, जिससे हेलमेट पहनते हीं आप की मोटर साइकिल स्टार्ट हो जाती है। जैसे ही आप हेलमेट को सिर से निकालते हैं, उसमे लगा सेंसर डिएक्टिवेट हो जाता है। जिससे मोटर साइकिल का इंजन बंद हो जाता है। इस हेलमेट के पीछे दो रेड इंडिकेटर लाइट भी लगी हैं, जो दूर से पीछे की तरफ से आने वाले वाहनो को इंडिकेट करता है, ताकि कोई दुर्घटना न हो।
हेलमेट, राॅग साइड ड्राइविंग, तेज रफ्तार व नशे में वाहन नहीं चलाने को लेकर परिवहन विभाग, ट्रैफिक पुलिस एवं सड़क सुरक्षा समिति अलग-अलग आयोजनों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास कर रही है। लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि आज भी सड़क हादसे में मरने वालों में अधिकांश बाइक सवार ही होते हैं।खासकर वैसे बाइक चालक जिन्होंने हेलमेट नहीं पहन रखा था।मरने वाला में उनकी संख्या अधिक है। राज्य की राजधानी होने के बावजूद दून में हेलमेट न पहनने वालों की एक बड़ी संख्या है। हेलमेट सिर पर लगाने के बजाय बांह में लटकाकर टूव्हीलर्स चलाने वाले सड़कों पर बड़ी संख्या में देखे जा सकते हैं। इनमें न सिर्फ युवा, बल्कि उम्रदराज लोग भी शामिल हैं। सड़कों पर लगे सीसीटीवी कैमरे ऐसेलोगों को देख नहीं पाते या देखकर भी बिना हेलमेट वालों को अनदेखा किया जाता है, यह समझ से परे है। कभी-कभी चौक चौराहों पर जरूर पुलिस हेलमेट न पहनने वालों का चालान करती है, लेकिन यह सिर्फ औपचारिकता ही होती है।
देहरादून एक खास बात यह है कि राजधानी देहरादून में भले ही बिना हेलमेट वालों की तरफ पुलिस का ज्यादा ध्यान न रहता हो, लेकिन राज्य के बाकी शहरों में और खासकर कुमाऊं मंडल के शहरों में लोग हेलमेट को लेकर देहरादून से ज्यादा जागरूक नजर आते हैं। हल्द्वानी जैसे शहर की सड़कों पर बिना हेलमेट चलने वाले टूव्हीलर चालकों की संख्या काफी कम होती है। एक्सीडेंट के ज्यादातर मामलों में टूव्हीलर वालों की मौत का बड़ा कारण हेलमेट न पहनना ही होता है। यही वजह है कि पुलिस समय-समय पर हेलमेट लगाने वालों को अवेयर करने के लिए कार्यक्रम भी आयोजित करती है, डबल हेलमेट न पहनने के कारण सबसे ज्यादा खतरा बच्चों को है। ज्यादातर दूनाइट्स बच्चों को टूव्हीलर पर ही बच्चों को स्कूल छोड़ते और वापस घर ले आते हैं। लेकिन पूरे शहर में कुछ ही ऐसे लोग नजर आते हैं, जो बच्चों को भी हेलमेट पहनाते हैं। ज्यादातर लोग ऐसा करने की जरूरत नहीं समझते। उनके उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए लोग उन्हें युवाओं का प्रेरणास्रोत भी है।
( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )