फाइनेंशियल ईयर 2025-26: बजट की घोषणाएं 1 अप्रैल से शुरू होंगी, टैक्सपेयर्स और टीडीएस में मिलेगी छूट, जानिए नए बदलावों के बारे में

फाइनेंशियल ईयर 2025-26: बजट की घोषणाएं 1 अप्रैल से शुरू होंगी, टैक्सपेयर्स और टीडीएस में मिलेगी छूट, जानिए नए बदलावों के बारे में

लोक संस्कृति

वित्तीय वर्ष यानी फाइनेंशियल ईयर के हिसाब से आज 31 मार्च का आखिरी दिन माना जाता है। कल मंगलवार 1 अप्रैल से नया फाइनेंशियल ईयर शुरू होने जा रहा है। नए वित्त वर्ष को लेकर बाजार में खूब हलचल है। इस बार के बजट में मोदी सरकार ने टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी है। कल से बैंकिंग से लेकर बाजार तक कई बड़े बदलाव हो रहे हैं। आयकर छूट या सब्सिडी जैसे फायदे 1 अप्रैल 2025 से लागू हो जाते हैं, क्योंकि ये वित्तीय वर्ष के साथ जुड़े होते हैं।

वहीं इन्फ्रास्ट्रक्चर और विकास परियोजनाएं, सामाजिक कल्याण योजनाओं का फायदा मिलने में समय लगता है, क्योंकि इन पर काम करने की एक लंबी प्रोसेस होती है। 1 अप्रैल से छह बदलाव जो लागू होंगे वह इस प्रकार है। न्यू टैक्स रिजीम के तहत अब 12 लाख रुपए तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। नौकरीपेशा लोगों के लिए 75 हजार के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ यह छूट 12.75 लाख रुपए हो जाएगी। न्यू टैक्स रिजीम में 20 से 24 लाख की इनकम के लिए 25% टैक्स का नया स्लैब भी शामिल किया गया है। असर क्या होगा। पहले 30% की अधिकतम दर 15 लाख रुपए से ऊपर की आय पर लागू होती थी, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 24 लाख रुपए कर दी गई है। इससे मध्यम और उच्च-मध्यम आय वर्ग को कर में बचत होगी। टीडीएस लिमिट की सीमा बढ़ी। 6 लाख तक की रेंटल इनकम पर टैक्स नहीं क्या बदलाव हुआ है। कुछ भुगतानों पर TDS (टैक्स डिडक्शन एट सोर्स) की सीमा को बढ़ाया गया है। रेंट से होने वाली इनकम पर TDS छूट दोगुनी। रेंट से होने वाली इनकम पर TDS की सीमा 2.4 लाख से बढ़कर 6 लाख हो गई है। वरिष्ठ नागरिकों को ब्याज आय पर छूट हुई दोगुनी। बैंक एफडी से ब्याज आय अर्जित करने वाले वरिष्ठ नागरिकों के लिए टीडीएस सीमा 50 हजार से बढ़कर 1 लाख हो गई है। प्रोफेशनल सर्विस पर TDS सीमा में बढ़ोतरी । प्रोफेशनल सर्विस पर TDS की सीमा अब 30 हजार से बढ़कर 50 हजार हो गई है। असर क्या होगा। इससे कम आय वाले व्यक्तियों पर TDS का बोझ कम होगा और नकदी प्रवाह में सुधार होगा। TCS लिमिट की सीमा बढ़ी। विदेश में पढ़ाई के लिए ₹10 लाख तक भेजने पर टैक्स नहीं । क्या बदलाव हुआ है। विदेश में पढ़ाई के लिए पैसा भेजने पर टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (TCS) की लिमिट अब 7 लाख रुपए से बढ़कर 10 लाख रुपए हो गई है।

वहीं अगर पैसा किसी फाइनेंशियल आर्गनाइजेशन जैसे बैंक आदि से लोन लिया गया हो टीसीएस नहीं लगेगा। असर क्या होगा। टीसीएस हटने से छात्रों और उनके परिवारों दोनों को फायदा होगा। पहले 7 लाख से ज्यादा कि राशि पर 0.5%-5% टीसीएस कटता था। इससे ट्रांसफरिंग प्रोसेस थोड़ी हेक्टिक बन जाती थी। वहीं अब दूसरे छोर पर 10 लाख रुपए तक की पूरी राशि पहुंच पाएगी।

अपडेटेड रिटर्न भरने के लिए ज्यादा समय मिलेगा, 48 महीने तक दाखिल कर सकेंगे

अब टैक्सपेयर्स असेसमेंट ईयर के अंत से 24 महीने के बजाय 48 महीने तक अपडेटेड रिटर्न दाखिल कर सकेंगे। इसकी कुछ शर्तें हैं। 24 से 36 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 60% अतिरिक्त टैक्स। 36 से 48 महीने के बीच दाखिल रिटर्न पर 70% अतिरिक्त टैक्स। असर क्या होगा। इससे करदाताओं को अपनी गलतियों को सुधारने के लिए अधिक समय मिलेगा। स्वैच्छिक अनुपालन भी बढ़ेगा। यानी, किसी व्यक्ति या संगठन का अपनी मर्जी से नियमों, कानूनों का पालन करना। यूलिप पर कैपिटल गेन टैक्स। 2.5 लाख से ज्यादा प्रीमियम कैपिटल एसेट माना जाएगा

क्या बदलाव हुआ है। यदि यूलिप यानी, यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान का प्रीमियम प्रति वर्ष 2.5 लाख रुपए से अधिक है, तो इसे कैपिटल एसेट माना जाएगा। ऐसे यूलिप को भुनाने से होने वाले किसी भी फायदे पर कैपिटल गेन टैक्स लगेगा।

यूलिप एक ऐसा प्रोडक्ट है जिसमें प्रीमियम का एक हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है। यदि इसे 12 महीने से अधिक समय तक रखा जाता है, तो इस पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के रूप में 12.5% टैक्स लगेगा। यदि इसे 12 महीने से कम समय तक रखा जाता है, तो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन के रूप में 20% टैक्स लगेगा। असर क्या होगा। उच्च प्रीमियम वाले ULIP में निवेश करने वालों को अब टैक्स देना होगा।

सरकार ने ये बदलाव हाई-इनकम टैक्स पेयर्स को यूलिप को टैक्स-फ्री इन्वेस्टमेंट इंस्ट्रूमेंट के रूप में उपयोग करने से रोकने के लिए किए हैं। यूलिप प्रीमियम का एक बड़ा हिस्सा शेयर बाजार में निवेश किया जाता है, इसलिए सरकार का तर्क था कि इसे ट्रेडिशनल इंश्योरेंस की तरह टैक्स छूट नहीं मिलनी चाहिए। वहीं सरकार ने फरवरी में पेश किए गए बजट में कुछ प्रोडक्ट पर कस्टम ड्यूटी घटाई थी और कुछ पर बढ़ाई थी। इससे करीब 150-200 प्रोडक्ट प्रभावित होंगे। आम तौर पर वित्तीय वर्ष की शुरुआत यानी 1 अप्रैल 2025 से कस्टम ड्यूटी में हुए बदलाव लागू होते हैं। हालांकि, कुछ बदलावों की लागू होने की तारीखें केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के नोटिफिकेशन पर निर्भर करती हैं। जैसे, पिछले बजट में कुछ कस्टम ड्यूटी बदलाव (जैसे मोबाइल फोन और कीमती धातुओं पर) 24 जुलाई 2024 से लागू हुए थे।