राष्ट्रीय राजमार्ग भूस्खलन के कारण यातायात बाधित
डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला
चारधाम यात्रा प्रारंभ होने वाली है लेकिन अभी तक बीआरओ द्वारा स्थाई उपचार का कोई प्रयास नहीं किया गया है। पिछले चार वर्षों से ऑलवेदर रोड निर्माण का कार्य गतिमान है लेकिन एबीसीआई कंपनी भी लापरवाह बनी हुई है जिससे बार बार यातायात बाधित होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिस तरह से बिना वर्षा के भूस्खलन हो रहा है आने वाले बरसात व यात्रा सीजन में मुश्किलें बढ़ जाएंगी। धाम के कपाट खुलने का हिंदुओं के लिए विशेष महत्व है। इस दिन को हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण त्योहार के रूप में मनाया जाता है। बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलने के साथ ही चार धाम यात्रा भी शुरू हो जाती है।बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग की खस्ता हालत को देखते हुए लगता है कि इस बार धाम की यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं का सफर आसान नहीं होगा।
पिछले एक साल में हाईवे की दशा को सुधारने के कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। जिन स्थानों पर भूस्खलन, भू-धंसाव हुआ था, पहाड़ी से मलबा आया था, वहां भी सुधारीकरण कार्य नहीं किया गया है।कुछ जगहों पर सड़क चौड़ीकरण और मलबा हटाने का काम शुरू तो किया गया, लेकिन अब समय कम और काम ज्यादा है। बदरीनाथ यात्रा मार्ग पर पड़ताल के दौरान हाईवे की हालत बेहद खराब मिली, तो कहीं काम चलता मिला। नगरासू से बदरीनाथ धाम (129 किमी) तक बदरीनाथ हाईवे पर पिछले तीन सालों से ऑलवेदर रोड परियोजना का काम चल रहा है। कुछ जगहों पर हाईवे की दशा सुधारी जा चुकी है, लेकिन कई जगहों पर अभी भी हाईवे बेहद तंग हालत में है। नगरासू के समीप गत वर्ष पहाड़ी से भारी भूस्खलन होने से यहां करीब 200 मीटर हिस्से में हाईवे क्षतिग्रस्त हो गया था। अब यहां पर पहाड़ी को काटकर हाईवे का निर्माण किया गया है, लेकिन यहां गदेरा होने के कारण वाहनों की आवाजाही में दिक्कतें आ रही हैं।
पीपलकोटी के समीप गडोरा, बेलाकूची और पागलनाला में हाईवे का अधिकांश हिस्सा क्षतिग्रस्त है।राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) की ओर से हिल साइड कटिंग कर हाईवे को चौड़ा करने का प्रयास किया जा रहा, लेकिन बारिश में यहां फिर से भूस्खलन की संभावना बनी है। जोशीमठ से मारवाड़ी तक हाईवे चौड़ीकरण का काम भी अभी चल रहा है।इसमें कहीं कॉजवे का काम चल रहा, तो कहीं पुश्ते बनाए जा रहे हैं। टैय्या पुल से बल्दौड़ा तक चट्टान कटिंग से हाईवे संकरा हो गया है। यहां अलकनंदा किनारे सुरक्षा के इंतजाम भी नहीं हैं। लामबगड़ में भी नाले के ऊपर कॉजवे का निर्माण और बोल्डरों का निस्तारण किया जा रहा है। रड़ांग बैंड से कंचनगंगा के बीच भी जगह-जगह हिल कटिंग का काम चल रहा है। यह काम चारधाम यात्रा में के दौरान भी जारी रहेगा।
भूस्खलन क्षेत्र प्रथाडीप, मैठाणा, बाजपुर चाड़ा, चमोली चाड़ा, छिनका, बिरही चाड़ा, गडोरा, भनेरपाणी, पागलनाला, बैलाकूची, गुलाबकोटी, हेलंग, झड़कुला, जोशीमठ से मारवाड़ी, टैय्या पुल से बल्दौड़ा, अरूड़ी, लामबगड़ और रड़ांग बैंड से कंचननाला। बेहद खराब है बदरीनाथ हाईवे के भूस्खलन और आपदा प्रभावित क्षेत्रों के ट्रीटमेंट के लिए एनएचआईडीसीएल को केंद्र सरकार के सड़क एवं परिवहन मंत्रालय से 500 करोड़ रुपये स्वीकृत हैं। चारधाम यात्रा आगामी मई माह से शुरू हो जाएगी। ऐसे में एनएचआईडीसीएल के सामने समय कम और काम अधिक है। हर वर्ष चारधाम की यात्रा करने के लिए देश- विदेश से लाखों श्रद्धालु आते हैं. देवभूमि उत्तराखंड में पहाड़ों और दुर्गम स्थानों के बीच होने वाली यह यात्रा बेहद कठिन मानी जाती है। इन दुर्गम इलाकों में खराब मौसम की वजह से अक्सर यात्रा रूक जाती है। ऐसे में तीर्थयात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है।
उत्तराखंड के बद्रीनाथ धाम और चमौली में जबरदस्त बर्फबारी हो रही है। पहाड़ हो पेड़ हो या फिर सड़के, हर तरफ बर्फ ही बर्फ नजर आ रही है। बर्फ के बड़े हिमखंडो से ऐसा लग रहा है मानो नजारा अंटार्टिका का हो. बर्फ की वजह से यातायात प्रभावित हो गया है। विज्ञानियों के शोध और पर्यावरण के जानकार ऐसे के खिलाफ चेतावनी देते रहे हैं। आलवेदर कार्य में लगी एबीसीआइ कंपनी ने दो घंटे बाद एक जेसीबी मशीन भेजकर इतिश्री कर दी। इस गैर जिम्मेदाराना कार्य से राष्ट्रीय राजमार्ग पर दर्जनों वाहन साढ़े तीन घंटे तक फंसे रहे। जिससे बरात समय पर गंतव्य तक नहीं पहुंच पाई। स्थानीय बीआरओ के जिम्मेदार अधिकारियों द्वारा फोन तक नहीं उठाया गया।
बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी का कहना है कि राष्ट्रीय राजमार्ग पर इस प्रकार की लापरवाही चिंताजनक है। शादियों का सीजन होने के साथ ही चारधाम यात्रा प्रारंभ होने वाली है और राष्ट्रीय राजमार्ग के यह हाल है तो कैसे देवभूमि में सुगम तीर्थाटन और पर्यटन सम्भव होगा। शासन प्रशासन को यह स्थिति गंभीरता से लेनी चाहिए। चार वर्षों से ऑलवेदर रोड निर्माण का कार्य गतिमान है लेकिन एबीसीआई कंपनी भी लापरवाह बनी हुई है जिससे बार बार यातायात बाधित होने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है जिस तरह से बिना वर्षा के भूस्खलन हो रहा है आने वाले बरसात व यात्रा सीजन में मुश्किलें बढ़ जाएंगी।
(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )