नीरज उत्तराखंडी
- बग्वाल के साथ ही गांव में 9 दिवसीय थात पूजन समारोह शुरू
- रवांई की संस्कृति,परम्पराओं व आस्था का अनूठा मेल है थाती माता पूजन।
- गांव केमिट्टी(भूमि),अस्त्र-शस्त्र तथा माता के स्वरूप थात(जाग) की पूजा की जाती है।
नगर पंचायत क्षेत्र के पुरोला गांव में शनिवार रातभर मंगशीर बग्वाल के साथ ही 9दिवसीय थात माता पूजन में पांडव मंडाण धूमधाम से मनाया गया।
गांव में चल रहे 9 दिवसीय थात(जाग) माता की विशेष पूजा अर्चना का भी इन दिनों आयोजन किया जा रहा है।
थात माता की यह विशेष पूजा अर्चना हर पांच वर्षों में गांव की शुख-शांति,समृद्धि के लिए 9 दिनों तक की जाती है। रात-भर हवन पूजा अर्चना पांडव मंडाण रवांई की संस्कृति आस्था व परम्पराओं का नजारा देखने को मिलता है।
9 दिवसीय पूजा के अंतिम दिन गांव व क्षेत्र की सुख-समृद्वि व बूरी आत्माओं से बचानें को क्षेत्र के ईष्ट ओडारू जखंडी देवताओं की पालकी के साथ विद्वान पंडित कच्चे सूत का धागा, सात प्रकार के अनाज (सतनजा), कद्दू आदि की वलि देकर गांव के चारों ओर सुरक्षा कवच बांधा जाता हैं।
9 दिनों तक गांव में थात के मध्य भाग में प्राचीन काल से बनी हवन कुंड में हवन के साथ विशेष पूजा की जाती है।
अपने खेतों से हर ग्रामीण मिट्टी एकत्रित कर विशेष पूजा उपरांत के उपरांत खेतों में डाल दिया जाता है जो अन्नधन की समृद्धि का संकेत है।
वंही अपने घरों में रखे पारम्परिक कृषि यंत्रों व औजारों को भी इस विशेष पूजन में शामिल किया जाता है।
शनिवार को रातभर थाती माता की पूजा अर्चना के साथ ही पांडव मंडाण व मंगशीर की बग्वाल पर ग्रामीणों ने भेलू खेल कर खूब लुफ्त उठाया।
गांव के थाती माता के पुजारी हरिकृष्ण उनियाल व सोमेश नौटियाल ने बताया कि थाती पूजा हर पांच वर्षों में होती है सदियों से हिमालयी क्षेत्रों में खासकर रवांई घाटी में पांडवों के वनवास काल से ही थाती मां की पूजा-अर्चना की परंपरा है हर पांच वर्ष में गांव के खेतों की मिट्टी व कृषि उपकरणों की पूजा अर्चना बेहतर उत्पादन एवं समय पर बारिश,गांव क्षेत्र की कुशलता, ओलावृष्टि व अकाल मौत आदि को टालनें को लेकर थाती (जागमाता) की पूजा कर गांव की सीमाओं में चारों ओर रक्षा शूत्र भी बांधा जाता है। कार्यक्रम में गांव के मनमोहन चौहान, जगमोहन,उपेंद्र असवाल, विजेंद्र रावत,राधेकृष्ण उनियाल, कवींद्र सिंह,त्रेपन सिंह,भारतभूषण आदि सैकड़ों लोग उपस्थित रहे।