बच्चों (children) को राष्ट्रप्रेम, पर्यावरण संरक्षण व स्वच्छता की भावना बचपन से ही सिखाने की जरूरत

बच्चों (children) को राष्ट्रप्रेम, पर्यावरण संरक्षण व स्वच्छता की भावना बचपन से ही सिखाने की जरूरत

पर्यावरण संरक्षण पर केंद्रित निःशुल्क दस दिवसीय स्पर्श गंगा समर कैम्प संपन्न

हरिद्वार/लोक संस्कृति

स्पर्श गंगा कार्यालय जगजीतपुर हरिद्वार में दस दिवसीय निःशुल्क समर कैंप का सफलतापूर्वक समापन हुआ।

स्पर्श गंगा के प्रणेता डॉ रमेश पोखरियाल निशंक और राष्ट्रीय संयोजिका डॉ आरुषि निशंक ने नन्हें मुन्ने बच्चों को सन्देश के माध्यम से शुभकामनायें व आशीर्वाद दिया। तेज बारिश में भी सभी प्रतिभागी बच्चों ने पूरे उत्साह के साथ कार्यक्रम में प्रतिभाग किया और अपनी प्रस्तुति दी।

समाजसेवी मालती भारद्वाज ने प्रतिभागी बच्चों को प्रशस्ति पत्र, पठन पाठन की सामग्री, फल, चिप्स, बिस्कुट , चॉकलेट देकर उनका उत्साहवर्धन किया गया। बच्चों ने अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए विभिन्न रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया।

बच्चों ने डांस के साथ-साथ गीत-संगीत, योगा, ड्राइंग वृक्ष ही जीवन है पर आधारित नुक्कड़ नाटिका की प्रस्तुति देकर उपस्थित दर्शकों के मन को मोह लिया।

रिद्धि श्री, बिमला ढोंडियाल, विनोद चमोली, उषा सिंह , रीमा गुप्ता ने समर कैम्प में बच्चों को निःशुल्क प्रशिक्षण देकर अपनी सेवाएं दी।

समारोह के मुख्य अतिथि मालती भारद्वाज ने बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि बच्चे राष्ट्र का भविष्य है, बच्चों को राष्ट्रप्रेम, पर्यावरण संरक्षण, स्वच्छता, की भावना बचपन से ही सिखानी चाहिए।

हरिद्वार सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के सानिध्य में स्पर्श गंगा 2009 से मां गंगा की स्वच्छता के लिए काम कर रहा है और सामाजिक कार्यो में अपनी अग्रणीय भूमिका निभा रहा है।

समर कैम्प संयोजिका बिमला ढौंडियाल ने कहा कि ग्रीष्मकालीन गतिविधियों से बच्चों में नवचेतना जागृत होती है। ऐसे आयोजन होते रहने चाहिए। यह कैम्प उमंग, खेल कूद, मौज मस्ती भरी पाठशाला होते हैं, क्योंकि इस तरह के कैम्प में बच्चे खेल-खेल में व्यवहारिक ज्ञान अर्जित करते हैं। हुनर सीखना सर्वोत्तम कला है, जो बच्चों को महत्वपूर्ण सामाजिक, भावनात्मक और संज्ञानात्मक कौशल विकसित करने में मदद करता है। समर कैम्प बच्चों के विकास में मील का पत्थर साबित होते हैं।

कार्यक्रम में मदन मोहन भारद्वाज, विपिन, रीता चमोली, विश्वदीप और 60 बच्चों ने प्रतिभाग किया।