उत्तराखंड के सीमांत जनपद टिहरी क्षेत्र के धनौल्टी से पहाड़ों की हकीकत बयां करने वाली दुखद खबर सामने आ रही है, जहां उत्तराखंड के गठन को 21 साल पूर्ण हो चुके है। लेकिन यहां की स्थिति वैसे की वैसे हैै। लोगों को अभी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वहीं इस क्षेत्र में सड़क व नेटवर्क जैसी समस्या न होना भी सरकार पर एक बड़ा कलंक है। जो कि इन लोगों को इन संसाधनों से वंचित रखा गया है।
वहीं बात करें टिहरी जिले के धनौल्टी जनपद की, जहां धनौल्टी विधानसभा के अभाव में एक और बीमार महिला को कंधों पर उठाकर 10 किलोमीटर पैदल चलकर सड़क तक पहुंचा गया। वहीं उसके बाद सड़क से मरीज को देहरादून अस्पातल पहुंचाया गया। यह घटना राजधानी देहरादून के रायपुर इलाके से सटे सकलाना की है।
बता दें कि सकलाना के पंचायत सेरा गांव निवासी सुरेंद्र सिंह की पत्नी सरू देवी की देर रात अचानक से तबीयत बिगड़ गई। वहीं रास्ता बंद होने से ग्रामीणों ने महिला को चारपाई पर लिटाकर उबड़ -खाबड़ रास्तों से होकर 10 किलोमीटर पैदल चलकर सौदना सड़क तक पहुंचाया। उसके बाद महिला को देहरादून के एक हाॅस्टिपल तक पहुंचाया गया। वहीं दुर्भाग्य की बात है, कि सौंग घाटी क्षेत्र में एक भी हाॅस्पिटल नहीं है।
घुड़साल गांव के अरविंद कंडारी ने बताया कि यहां लोगों का जीवन-यापन बहुत ही दुस्वार है, सौंग घाटी क्षेत्र में मोबइल नेटर्वक जैसी सुविधा तक उपलब्ध नहीं है, और ना ही अस्पताल व बैंक की सुविधा है।
घुड़साल के पूर्व प्रधान जय सिंह कंडारी बातते है, कि सौंग बांध परियोजना के अधूरे कार्य से ग्रामीणो को बहुत परेशानी हो रही है। यहां तक कि लोगों की जान तक बन आ जाती है।
वहीं उत्तराखंड की धामी सरकार की बात करें तो यहां शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे अहम महकमों का नेतृत्व तेजतर्रार एवं अनुभवी कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत कर रहे है। ऐसे में उनके पास अहम महकमों की दयनीय स्थिति को सुधारने की न सिर्फ कड़ी चुनौती भी है। बल्कि एक नया सुनहरा अवसर भी है।
लेकिन अब देखना यह होगा कि इस तरह के ज्वलंत प्रकरणों का कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत कब तक संज्ञान लेते है। और इन महकमों को सुधारने केे लिए वे क्या प्रयास करते हैं, अब ये देखना होगा।