माल्टा के बाजार की बड़ी सम्भावना सही कीमत और व्यवस्था की जरूरत
माल्टे की कचमोली,मूली की थीच्वानी लाल चावल की खीर के साथ हुआ माल्टा फ़ूड फेस्टिवल
देहरादून/लोक संस्कृति
हरेला गाँव- धाद की पहल पर पहाड़ के माल्टे के पक्ष में स्मृतिवन में माल्टा फ़ूड फेस्टिवल आयोजित हुआ। आयोजन में माल्टे की कचमोली के साथ पहाड़ के पारम्परिक भोज का आयोजन भी हुआ।
इस अवसर पर लोगों ने माल्टे की खरीद के साथ अभियान का समर्थन किया। आयोजन का परिचय देते हुए संस्था के सचिव तन्मय ने बताया कि इस वर्ष भी माल्टे के जन समर्थंन मूल्य पर खरीद की अपील को भारी समर्थन मिल रहा है। फँची सहकारिता समिति की माल्टा मोबाइल वैन जहाँ भी जा रही है, वहां लोग बहुत उत्साह से खरीददारी कर रहे हैं। इसका मतलब यह कि पहाड़ का माल्टे का सम्भावनाशील बाजार है, लेकिन उसकी व्यवस्था नहीं है। जिसके लिए संस्था प्रयासरत है।
इस अवसर पर माल्टा लेकर पहुँचे भटवाड़ी उत्तरकाशी के माल्टा उत्पादक कृष्ण प्रसाद रतूड़ी ने बताया कि माल्टा का उत्पादन दूसरे फलों के हिसाब से काफी सरल और लाभकारी हो सकता है, अगर इसके संरक्षण और बाजार की सही व्यवस्था हो सके। उन्होंने बताया कि अन्य फलों के मुकाबले कम केमिकल के उपयोग के कारण यह अधिक ऑर्गेनिक है और हमें इसके इस पक्ष को सबके सामने मजबूती से रखना चाहिए।
शिक्षा विभाग के पूर्व निदेशक महावीर सिंह बिष्ट ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि एक समय माल्टा सबके आहार में शामिल रहा है, लेकिन धीरे-धीरे यह बाजार से गायब हो गया, जिसका नुक्सान इसके उत्तपादकों को उठाना पड़ा है।
हिमालयन भोज परम्परा विशेषज्ञ मंजू काला ने बताया कि हमें माल्टे के उपयोग के विभिन्न तरीके खोजने होंगे, ताकि यह फिर खान-पान का हिस्सा बन सके। इसके फल के अलावा जूस, चाय और पकवान के प्रयोग को बढ़ावा देने से इसका अधिक इस्तेमाल हो पायेगा।
इस अवसर पर डीसी नौटियाल, नरेंद्र सिंह रावत, पुष्पलता ममगाईं, कल्पना बहुगुणा, सुनीता बहुगुणा, लक्ष्मण बिष्ट ने भी अपने विचार रखे। आयोजन का सञ्चालन शुभम शर्मा ने किया।
इस अवसर पर साकेत रावत, किशन सिंह, उषा गुसाईं, शांति बिंजोला, डॉ. विद्या सिंह, नीलिमा नेगी, सुशील पुरोहित, बीरेंद्र खंडूरी, आरती सक्सेना, सुनील भट्ट, ब्रज मोहन उनियाल, मनोहर लाल, हिमांशु आहूजा के साथ बड़ी संख्या में लोग उपस्थित थे।