देशभर के घाटों पर भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ छठ पर्व का समापन

देशभर के घाटों पर भगवान सूर्य को अर्ध्य देने के साथ छठ पर्व का समापन

लोक संस्कृति

आस्था का महापर्व छठ का धूमधाम के साथ समापन हो गया। गुरुवार शाम को राजधानी पटना, बक्सर, वैशाली समेत कई शहरों में गंगा घाटों पर भारी भीड़ उमड़ी। राजधानी दिल्ली, मुंबई के जुहू चौपाटी, चेन्नई के मरीना बीच, पर सूर्य भगवान को अर्घ्य देने के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे।

वहीं महिलाओं ने छठ पूजा के दौरान लोकगीत गाए। वहीं अमेरिका के वर्जीनिया में पोटोमैक नदी के तट पर बड़ी संख्या में भारतीय-अमेरिकी लोग इकठ्ठा हुए और उन्होंने सूर्य देव को अर्घ्य दिया और छठ गीत गाए। शुक्रवार को उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही लोक आस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ संपन्न हो गया। पारण के साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास खत्म हो गया।

सुबह 3 बजे से ही गंगा घाटों पर छठ व्रतियों के पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया था। राजधानी दिल्ली, मुंबई और पटना सहित पूरे बिहार में छठ व्रतियों ने नदियों और तालाबों के किनारे आकर उगते सूर्य को अर्घ्य दिया। घरों और अपार्टमेंट की छतों पर भी अर्घ्य दिया गया। मुजफ्फरपुर, गया, मधेपुरा सहित सभी जिलों में नदियों, तालाबों पर बने घाट पर जाकर व्रतियों ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया।

इससे पहले महापर्व के तीसरे दिन यानी गुरुवार को व्रतियों ने अस्ताचलगामी (डूबते हुए) सूर्य को अर्घ्य दिया।

इस दौरान पटना के अलावा बक्सर, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मुंगेर, भागलपुर में छठ घाटों पर व्रती और श्रद्धालुओं की भारी भीड़े देखने को मिली। कई लोगों ने घरों की छत और तालाबों में छठ पूजा मनाई।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने सरकारी आवास पर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया और राज्यवासियों की सुख, शांति एवं समृद्धि के लिये ईश्वर से प्रार्थना की। छठ पर्व में शामिल होने के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी पटना पहुंचे। छठ पूजा पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि मंबई की जुहू चौपाटी पर बहुत बड़े पैमाने पर हमारी माताएं बहनें और भाई छठी मईया की पूजा करने के लिए और भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए यहां आते हैं मैं उनके दर्शन करने के लिए यहां आया हूं। उन्होंने कहा कि देश के सभी छठ व्रतियों को मैं छठ पर्व की शुभकामनाएं देता हूं। भगवान सूर्य देव हमारे असीम ऊर्जा के अधिपति हैं। मैं उनसे प्रार्थना करता हूं कि हमारे देश और महाराष्ट्र को आगे ले जाने के लिए हमें ऊर्जा प्रदान करें।छठ महापर्व के तीसरे दिन उत्तराखंड में छठ की अनोखी छटा बिखरी।

देहरादून, हरिद्वार, ऋषिकेश से लेकर कुमाऊं में भी छठ पूर्व पूरे श्रद्धाभाव और उल्लास के साथ मनाया गया। बीते दिन व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हुआ था। वहीं राजधानी देहरादून लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा से सराबोर नजर आया। सूर्य उपासना के महापर्व छठ के तीसरे दिन गुरुवार को आस्था, उल्लास और समर्पण का अनूठा समन्वय छठ घाटों पर नजर आया। टपकेश्वर, मालदेवता, प्रेमनगर, चंद्रबनी, पटेलनगर, हरभजवाला, गुल्लरघाटी, छह नंबर पुलिया, केसरवाला, रिस्पना पुल, रायपुर, ब्रह्मवाला सहित कई घाटों पर मंगल गीत गातीं व्रती महिलाओं की शुरू आमद देर शाम तक चलती रही। हर मंडप में दिव्य आभा से देवलोक सा दृश्य प्रस्फुटित हो रहा था। हर क्षेत्र से बहंगी उठाए परिजन संग पूजा करने जाते श्रद्धालुओं का रेला यह बताने के लिए काफी था कि सभी लोक आस्था के इस पर्व के रंग में रंग चुके हैं। प्रकृति की वंदना का पर्व ग्लोबल होती दुनिया और संस्कृतियों के संगम के दौर में छठ अब महापर्व बन चुका है। सूर्योपासना व लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा के तीसरे दिन गुरुवार को श्रद्धालुओं की आस्था चरम पर थी। दोपहर बाद से ही छठ व्रती महिलाएं व आस्थावान परिजन गाजे-बाजे के साथ सिर पर सूप में पूजा की सामग्री लिए नंगे पांव गंगा घाट पहुंचे। पहाड़ से मैदान तक व्रतियों ने छठ घाटों पर जाकर पानी के बहते स्रोतों में खड़े हुए और जब भगवान भास्कर अस्ताचलगामी होने लगे तो उन्हें सायं कालीन अर्घ्य दिया। इस दौरान व्रतियों ने परिवार की सुख समृद्धि की कामना की। इस दौरान पहाड़ से मैदान तक घाटों पर भीड़ उमड़ी रही। बता दें कि बिहार-झारखंड में छठ पर्व का विशेष महत्व है।

बिहार-झारखंड के लगभग हर घर में छठ पर्व पूरी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है। साथ ही छठ में शुद्धता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है। चार दिवसीय छठ पर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। नहाय-खाय के दूसरे दिन चावल और गुड़ से बने प्रसाद को भगवान को अर्पित करने के बाद छठ व्रती उस प्रसाद को ग्रहण करती हैं। जिसके बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है। पर्व के तीसरे दिन तालाबों, पोखरों और नदियों में खड़े होकर छठ व्रती अस्ताचलगामी भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद अपने घर लौटती हैं। पर्व के अंतिम दिन छठव्रती सुबह-सुबह छठ घाट पर पहुंचती हैं और उगते हुए भगवान भास्कर को दूसरा अर्घ्य देने के बाद अपना 36 घंटे का निर्जला व्रत समाप्त करती हैं। छठ पूजा हिंदू धर्म का बेहद विशेष पर्व है। इसलिए इसे आस्था का महापर्व कहा जाता है। छठ पूजा की तैयारियां दिवाली के बाद से ही शुरू हो जाती है और पूजा के चार दिनों में पूरा माहौल छठमय हो जाता है।

मान्यता है कि इस योग में सूर्य देवता को अर्घ्य देने से साधक को कष्टों से मुक्ति मिलती है।