उत्तराखंड वन विभाग वनाग्नि प्रबंधन व नियंत्रण को लेकर अलर्ट, विभिन्न कार्यवाही हैं गतिमान

उत्तराखंड वन विभाग वनाग्नि प्रबंधन व नियंत्रण को लेकर अलर्ट, विभिन्न कार्यवाही हैं गतिमान

देहरादून/लोक संस्कृति

प्रदेश में वनाग्नि प्रबंधन/नियंत्रण को लेकर उत्तराखंड वन विभाग अलर्ट मोड पर है। इसके लिए विभाग द्वारा विभिन्न प्रकार की कार्यवाही की जा रही है, ताकि प्रदेश की बहुमूल्य वन संपदा का संरक्षण किया जा सके। प्रदेश के अंतर्गत वनाग्नि नियंत्रण / प्रबन्धन हेतु वर्तमान में वन विभाग के विभिन्न वन प्रभागों के अंतर्गत 40184 वनाग्नि शमन उपकरण उपलब्ध हैं, इसके साथ ही विश्व बैंक पोषित योजना (U-PREPARE) के अन्तर्गत 27151 विभिन्न फायर उपकरण क्रय करने की कार्यवाही PMU, (U-PREPARE) स्तर पर गतिमान है।

इसी क्रम में वन विभाग के अन्तर्गत फील्ड स्तर पर विभागीय वाहनों की संख्या 247 है। वनाग्नि काल, 2024 में विभाग के अन्तर्गत वनाग्नि नियंत्रण / रोकथाम हेतु 154 वाहनों को किराये पर विभिन्न वन प्रभागों में आवश्यकतानुसार योजित किया गया। इसके अतिरिक्त जिला प्रशासन द्वारा भी विभिन्न वन प्रभागों में वनाग्नि नियंत्रण हेतु 25 वाहनों का आंवटन किया गया। विगत 02 वर्षों में 73 वाहनों का क्रय विभागीय योजनाओं में किया गया है।

वन विभाग के अन्तर्गत फील्ड स्तर के रिक्त पदों को भरे जाने हेतु UKPSC/UKSSSC स्तर से कार्यवाही गतिमान है। विगत एक वर्ष में अनुमानित 1200 वन दरोगा / वन आरक्षियों को नियुक्त कर फील्ड में तैनात किया गया। वन प्रभागों के साथ ही रेंज/अनुभाग / वन बीटों के पुनर्गठन के आधार पर ही क्षेत्रफल का निर्धारण शासनादेश के अनुसार निहित है। वर्तमान में वन क्षेत्र के प्रबन्धन हेतु 1569 वन बीटें अवस्थित हैं।

वर्तमान में वन विभाग के अंतर्गत विभिन्न वन प्रभागों में 728 फायर प्रूफ जैकेट, 505 डांगरी/फायर प्रोटेक्टिव सूट उपलब्ध हैं।
उक्त के अतिरिक्त विश्व बैंक पोषित योजना के अन्तर्गत 7145 फायर प्रोटेक्ट सूट क्रय करने की कार्यवाही PMU, U-PREPARE स्तर पर गतिमान है साथ ही कैम्पा योजना के अंतर्गत भी 150 फायर प्रोटेक्टिव सूट क्रय किए जाने की कार्यवाही गतिमान है।
प्रदेश में 1438 क्रू स्टेशन स्थापित हैं। क्रू स्टेशनों के सुधारीकरण हेतु वनों की अग्नि से सुरक्षा के 52 लघु निर्माण के अंतर्गत धनराशि का प्राविधान विभिन्न वन प्रभागों को आवश्यकतानुसार किया गया है। साथ ही प्रदेश में 40 मॉडल क्रू-स्टेशन (Multipurpose) स्थापित किये गये हैं। प्रत्येक क्रू स्टेशन में क्रू टीम की स्थगन की सुविधा, संचार साधन एवं आवागमन की सुविधा प्रदान की गयी है।
फायर लाइनों की सामान्य रूप से सफाई / रख-रखाव प्रभागीय कार्य योजना के प्राविधानों के अनुसार किया जाता है। इसके अतिरिक्त उच्चतम न्यायालय, नई दिल्ली द्वारा रिट याचिका संख्या 202/1995 में 18 मई 2023 को पारित निर्णय के अनुसार फायर लाइनों की पूर्ण रूप से सफाई / रख-रखाव हेतु फील्ड अधिकारियों को निर्देश निर्गत किये गये हैं।

प्रदेश के अंतर्गत वनाग्नि सत्र 2024 के दौरान वनाग्नि शमन हेतु समस्त योजित 4338 फायर वाचरों का जीवन बीमा कराया गया, जो कि आगामी वर्ष में भी किया जाएगा।
प्रदेश के अंतर्गत चीड़ आच्छादित वन प्रभागों में चीड़-पिरूल एकत्रीकरण एवं पैलेट्स /ब्रिकेट्स यूनिटों की स्थापना को मिशन मोड में क्रियान्वित किए जाने हेतु सात नये यूनिटों की स्थापना हेतु कार्यवाही चिन्हित की गयी है।

इसके अतिरिक्त NTPC एवं Century Paper & Pulp Ltd. के साथ समन्वय स्थापित कर चीड़-पिरूल एकत्रीकरण किया गया है। वर्तमान में पांच पैलेट्स / ब्रिकेट्स यूनिट संचालित है। वर्ष 2024 वनाग्नि सत्र के दौरान विभिन्न वन प्रभागों के वन क्षेत्रों से 38299.48 कुंतल चीड़ पिरुल एकत्रित किया गया।

वनाग्नि नियंत्रण/प्रबन्धन को और प्रभावी बनाने हेतु रुपए 404.01 करोड़ की 05 वर्षीय कार्य योजना (वर्ष 2024-25 से 2028-29) का प्रस्ताव स्वीकृति हेतु उत्तराखण्ड शासन से भारत सरकार, पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को प्रेषित किया गया।
वर्तमान में प्रदेश के अंतर्गतForest Fire Uttarakhand Mobile App को विकसित किया गया है। सभी फील्ड अधिकारियों / कर्मचारियों एवं अन्य के द्वारा अपने मोबाइल पर Install कर सूचना के प्रेषण एवं प्राप्त वनाग्नि अलर्ट, घटनाओं को address करते हुए अनुश्रवण में सहयोग मिलेगा।

प्रदेश में विभिन्न सामुदायिक संस्थानों (वन पंचायत / वनाग्नि प्रबंधन समितियाँ / महिला / युवा मंगल दल आदि) को वनाग्नि प्रबन्धन में सक्रिय रूप से जोडऩे हेतु जागरूकता कार्यक्रम / e&posure visit की व्यवस्था बनाई गयी है। इसके साथ-साथ उत्कृष्ट कार्य कर रहे उक्त संस्थानों को प्रोत्साहन/अवार्ड दिए जाने की व्यवस्था बनाई जा रही है।
वन विभाग द्वारा वनाग्नि प्रबंधन/नियंत्रण हेतु प्रभावी कार्यवाही करते हुए यथोचित प्रयास किए जा रहे हैं।