शारदीय नवरात्रि शुरू, आज घट स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त, पंचमहायोग भी बना, पहले दिन माता शैलपुत्री की होती उपासना
लोक संस्कृति
“या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।”
आज बात शुरू होगी इन्हीं मंत्रों के साथ। गली-मोहल्लों और घरों की आवाजें बता देती हैं कि देवी माता आगमन हो चुका है। और दिनों की अपेक्षा आज गुरुवार सुबह घरों में अलग नजर दिखाई दिया। सुबह से ही छोटे-बड़े सभी शहरों और गांवों में महिलाएं, बच्चे, माता-पिता ने घरों की साफ सफाई शुरू कर दी।
वातावरण में अपने आप ही आभास हो गया कि मां दुर्गा अपने भक्तों को आशीर्वाद देने आ गई हैं। मदिरों में सुबह से ही घंटियां बजने लगी और देवी माता के भजन सुनाई देने लगे।
अब देश भर में 9 दिन ऐसा ही भक्ति पूर्ण माहौल नजर आएगा। आज से शारदीय नवरात्र प्रारंभ शुरू हो गई हैं। आज पंचमहायोग में नवरात्रि शुरू हो गई है। इस बार तृतीया तिथि दो दिनों तक रहेगी।
इस तिथि की गड़बड़ी से अष्टमी और महानवमी की पूजा 11 तारीख को होगी। 12 अक्टूबर, शनिवार को दशहरा मनेगा। तिथि की गड़बड़ी के बावजूद देवी पूजा के लिए पूरे नौ दिन मिलेंगे। आज पर्वत, शंख, पारिजात, बुधादित्य और भद्र नाम के पांच राजयोग में नवरात्रि शुरू हुई है। श्रद्धालु दुर्गा माता को प्रसन्न करने के लिए 9 दिनों का उपवास भी रखते हैं।
इस बार दुर्गा माता डोली में सवार होकर आई हैं। नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है। इस दिन मां शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा करने से माता का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है और हर मनोकामना पूरी होती है। ज्योतिषियों का मानना है कि इन पंचमहायोग में घट स्थापना होने से देवी आराधना का शुभ फल और बढ़ जाएगा।
नवरात्रि के पहले दिन घट (कलश) स्थापना की जाती है। इसे माता की चौकी बैठाना भी कहा जाता है। शारदीय नवरात्रि काे पहले दिन घट स्थापना करने के लिए दो शुभ मुहूर्त बन रहे हैं। घट स्थापना के लिए पहला शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक है और घट स्थापना के लिए आपको 1 घंटा 6 मिनट का समय मिलेगा।
दूसरा मुहूर्त घट स्थापना के लिए दोपहर में भी अभिजीत मुहूर्त में बन रहा है। यह मुहूर्त सबसे अच्छा माना जाता है। दिन में आप 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट के बीच कभी भी घट स्थापना कर सकते हैं। दोपहर में आपको 47 मिनट का शुभ समय मिलेगा।
देवी भागवत और मार्कंडेय पुराण के मुताबिक नवरात्रि के नौ दिनों तक देवी पूजा और व्रत करने का विधान है। नवरात्रि के पहले दिन जब आप कलश की स्थापना करें तो खुद को शुद्ध रखें और मन को भी नकारात्मक विचार न लाएं।
नवरात्रि के पहले दिन, कलश की स्थापना उत्तर-पूर्व दिशा में करें। इसके अलावा आप उत्तर या पूर्व दिशा में भी कलश की स्थापना कर सकते हैं। कलश की स्थापना करने के साथ ही इस बात का भी ख्याल रखें की आप 9 दिनों तक पूरे विधि विधान से रोजाना कलश की पूजा करें। नवमी तक रोजाना कलश की पूजा करने से बाद दशमी तिथि में कलश का विसर्जन करें।
महानवमी और दशहरा एक ही दिन 12 अक्तूबर को मनाए जाएंगे। असल में 12 अक्तूबर को सूर्योदयकाल से सुबह 10.58 तक तो नवमी तिथि उपस्थित रहेगी और 12 की सुबह 10.58 से 13 की सुबह 9 बजकर 8 मिनट तक दशमी रहेगी। संध्याकाल में रावण दहन के समय दशमी तिथि केवल 12 अक्तूबर को ही रहेगी। इसलिए दशहरा पूजन और रावण दहन 12 अक्तूबर को ही किया जायेगा। 12 अक्तूबर को प्रात:काल से लेकर सुबह 1058 तक के बीच नवमी को कन्या पूजन किया जाएगा और 1058 के बाद दशहरा पूजन होगा।
आइए जानते हैं किस दिन कौन सी देवी माता की पूजा होगी की। 3 अक्टूबर को प्रतिपदा पर माता शैलपुत्री, 4 अक्टूबर को द्वितीया पर ब्रह्मचारिणी, 5 अक्टूबर को तृतीया पर चंद्रघंटा का पूजन, 6 व 7 अक्टूबर को चतुर्थी पर माता कुष्मांडा का पूजन, 8 अक्टूबर को पंचमी तिथि पर स्कंदमाता का पूजन, 9 अक्टूबर को षष्ठी तिथि पर मां कात्यायनी का पूजन, 10 अक्टूबर को सप्तमी तिथि पर माता कालरात्रि का पूजन, 11 अक्टूबर को अष्टमी और नवमी दोनों पर माता महागौरी व सिद्धिदात्री का पूजन किया जाएगा।
1. शैलपुत्रीः पर्वतराज हिमालय की पुत्री, देवी शैलपुत्री नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाती हैं। इनको सफेद रंग बहुत प्रिय है और मां शांति-पवित्रता का प्रतीक हैं।
2. ब्रह्मचारिणीः देवी ब्रह्मचारिणी तपस्या और साधना की देवी हैं। इस दिन पीले रंग का महत्व है, देवी सुख और समृद्धि देने वाली हैं।
3. चंद्रघंटाः देवी चंद्रघंटा शांति और साहस की देवी मानी जाती हैं। तीसरे दिन के लिए हरा रंग शुभ माना जाता है।
4. कूष्मांडा: देवी कुष्मांडा ब्रह्मांड को रचने वाली देवी मानी गईं हैं। इस दिन का रंग नारंगी है, जो ऊर्जा और उत्साह का प्रतीक होता है।
5. स्कंदमाताः देवी भगवान कार्तिकेय की माता, शांति और भक्ति की देवी मानी जाती हैं। यह दिन सफेद रंग को समर्पित है।
6. कात्यायनीः देवी कात्यायनी शक्ति और साहस की प्रतीक हैं। छठे दिन के लिए लाल रंग शुभ माना जाता है।
7. कालरात्रिः देवी कालरात्रि बुराई का नाश करने वाली देवी मानी जाती हैं। इस दिन का रंग नीला है, जो शत्रुओं का नाश करने का प्रतीक है।
8. महागौरीः देवी महागौरी पवित्रता और शांति की देवी हैं। इस दिन का रंग गुलाबी है, जो प्रेम और भक्ति का प्रतीक है।
9. सिद्धिदात्रीः देवी सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली देवी मानी जाती हैं। नवमी के दिन बैंगनी रंग को शुभ माना जाता है।