- सूबे के उच्च शिक्षण संस्थानों की बदलेगी सूरतः डॉ0 धन सिंह रावत
- नैक एक्रिडिएशन कार्याशाला का मिलेगा विशेष लाभ
- प्रदेश में वर्ष 2025 तक तैयार होंगे 25 मॉडल महाविद्यालय
देहरादून, 7 दिसम्बर 2022
राज्य में उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता एवं रोजगारपरक मूल्य आधारित शिक्षा उपलब्ध कराना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। इसके लिये प्रत्येक उच्च शिक्षण संस्थान को नैक एक्रिडिएशन कराना होगा, शिक्षण संस्थानों में संसाधनों की उपलब्धता, फैकल्टी की तैनाती, पुस्तकालय, प्रयोगशालाएं एवं अन्य गतिविधियों के आधार पर संस्थानों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद द्वारा ग्रेडिंग दी जायेगी।
इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुये निकट भविष्य में प्रदेश के विभिन्न जनपदों में नैक प्रशिक्षण की पांच कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ0 धन सिंह रावत ने यह बात उच्च शिक्षा विभाग द्वारा डीआईटी विश्वविद्यालय के सहयोग से देहरादून में आयोजित दो दिवसीय चिंतन शिविर में कही।
डॉ0 रावत ने बताया कि राज्य में वर्तमान में 35 विश्वविद्यालय, 119 राजकीय महाविद्यालय, 21 अशासकीय सहायता प्राप्त महाविद्यालय एवं 300 से अधिक निजी उच्च शिक्षण संस्थान है। जिनमें लगभग पांच लाख छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं।
राज्य के शिक्षण संस्थानों में देश्भर के विभिन्न प्रांतों सहित 19 अन्य देशों के छात्र-छात्राएं भी अध्ययन कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पिछले पांच वर्षों में राज्य सरकार ने अपने सभी विश्वविद्यालयों में भवन सहित अन्य सभी सुविधाएं उपलब्ध कराने काम पूर्ण कर लिया है, जबकि सभी राजकीय महाविद्यालयों में भवन के साथ ही शतप्रतिशत फैकल्टी एवं प्राचार्यों की तैनाती कर दी गई है।
अब सरकार का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को गुणवत्ता एवं रोजगारपरक शिक्षा देना है। राज्य के सभी सरकारी एवं निजी शिक्षण संस्थानों को मार्च 2023 तक अनिवार्य रूप से नैक मूल्यांकन कराने के निर्देश दे दिये गये हैं, इसके लिये प्रत्येक शिक्षण संस्थान को एक नोडल अधिकारी भी नियुक्त करना होगा जो कि नैक एक्रिडिएशन प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रतिभाग कर अपने संस्थान में संबंधित औपचारिकताएं पूरा कराने में सहयोग करेंगे।
डॉ0 रावत ने बताया कि शिक्षण संस्थानों की सहूलियत के लिये राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के सहयोग से प्रदेश के विभिन्न जनपदों में शीघ्र ही नैक प्रशिक्षण कार्यशालाओं का आयोजन किया जायेगा।
उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2025 तक सूबे में 25 मॉडल कॉलेज तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इसके अलावा उच्च शिक्षा ग्रहण कर रहे छात्र-छात्राओं को एनसीसी, एनएसएस, रोवर रेंजर, स्वच्छता, साक्षरता, पर्यावरण आदि विभिन्न परम्परागत एवं स्थानीय संस्कृति से जोड़ने का प्रयास किया जायेगा, इसके लिये एनईपी-2020 के अंतर्गत पाठ्यक्रम में भी उपरोक्त सभी विषयों को समावेश किया जायेगा।
कार्यक्रम में डीआईटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं पूर्व मुख्य सचिव ए0 रविशंकर ने कहा कि सरकार और निजी क्षेत्र के शिक्षण संस्थान एक दूसरे के पूरक के रूप में कार्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि निजी शिक्षण संस्थानों को राज्य सरकार के नियमों के अंतर्गत ही स्वायत्ता मिलनी चाहिये।
उच्च शिक्षा सचिव शैलेश बगोली ने दो दिवसीय चिंतन शिविर की कार्ययोजना एवं चर्चा के बिन्दुओं पर प्रकाश डाला, उच्च शिक्षा निदेशक प्रो0 जगदीश प्रसाद ने चिंतन शिविर में आये सभी अतिथियों एवं शिक्षाविदों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक निदेशक उच्च शिक्षा डॉ0 दीपक पाण्डेय ने किया।
चिंतन शिविर में डीआईटी विवि के चैयरमैन अनुज अग्रवाल, रूसा सलाहकार प्रो0 एम0एस0एम0 रावत, प्रो0 के0डी0 पुरोहित, अपर सचिव सचिव प्रशांत आर्य, एम0एम0 सेमवाल, राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) के प्रो0 श्रीकांत स्वामी, डॉ0 निलेश पाण्डेय, डॉ0 बी पोंमुदिराज, डॉ0 विष्णुमहेश, ईडीआईआई के पॉलिसी इंचार्ज डॉ0 अमित द्विवेदी, समस्त निजी व राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति, चेयरमैन, कुलसचिव, निदेशक व समस्त शासकीय एवं अशासकीय महाविद्यालयों के प्राचार्य, नोडल नैक एवं अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित रहे।